12 लाख करोड़ का घोटाला: भारतीय बैंकों से कैसे गायब हुए इतने पैसे?

भारतीय बैंकों में पिछले कुछ सालों में हुए घोटालों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। बिना किसी बंदूक या तिजोरी तोड़ने के, बैंकों से 12 लाख करोड़ रुपये गायब हो गए हैं। यह अमाउंट भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट बैंक HDFC बैंक के मार्केट कैपिटलाइजेशन के बराबर है। आखिर कैसे हुआ ये घोटाला और कौन हैं इसके जिम्मेदार? आइए विस्तार से समझते हैं।

बैंकों का “लोन राइट-ऑफ” क्या है?

पिछले 10 वर्षों में, भारतीय बैंकों ने लगभग 12.3 लाख करोड़ रुपये के लोन राइट-ऑफ कर दिए हैं। इसका अर्थ है कि बैंक ने उन लोन को अपनी बुक्स से हटा दिया है, जिन्हें वसूलना लगभग असंभव है। खास बात यह है कि इन राइट-ऑफ का 53% हिस्सा सरकारी बैंकों द्वारा किया गया है।

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साल 2019 में, सबसे ज्यादा 2.4 लाख करोड़ रुपये राइट-ऑफ किए गए। वहीं, 2024 में यह अमाउंट घटकर 1.7 लाख करोड़ रुपये रह गया। लेकिन यह कमी इस समस्या का समाधान नहीं है।

कौन हैं ये डिफॉल्टर्स?

सरकार ने अभी तक डिफॉल्टर्स की पूरी सूची सार्वजनिक नहीं की है। लेकिन एक वेबसाइट, investors.com, ने 1,500 से अधिक डिफॉल्टर्स की लिस्ट जारी की है। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:

  1. ABG Shipyard: 8,383 करोड़ रुपये
  2. Gitanjali Gems और Mehul Choksi: 5,064 करोड़ रुपये
  3. Bhushan Power and Steel Limited: 4,724 करोड़ रुपये

इन डिफॉल्टर्स ने अधिकतर लोन सरकारी बैंकों से लिए। जैसे कि, Mehul Choksi और उसकी कंपनी Gitanjali Gems को सबसे ज्यादा लोन पंजाब नेशनल बैंक से मिला। इसी तरह, Bhushan Power and Steel ने लगभग 20-30 बैंकों से लोन लिए, जिनमें से ज्यादातर सरकारी बैंक थे।

कौन से बैंक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए?

State Bank of India (SBI) और Punjab National Bank (PNB) इस घोटाले से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पिछले 5 सालों में, SBI ने 1.54 लाख करोड़ रुपये के लोन राइट-ऑफ किए, जबकि PNB ने 90,905 करोड़ रुपये के। इनके अलावा, अन्य प्रमुख सरकारी बैंक जैसे IDBI Bank, Union Bank of India और Canara Bank भी इस लिस्ट में शामिल हैं।

कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला?

इन घोटालों का मुख्य कारण खराब लोन मैनेजमेंट, कमजोर क्रेडिट पॉलिसी, और राजनीतिक हस्तक्षेप है। कई डिफॉल्टर्स ने फर्जी दस्तावेज और गारंटी के सहारे बड़े-बड़े लोन लिए।

उदाहरण के लिए:

  • Mehul Choksi और Nirav Modi ने पंजाब नेशनल बैंक से हजारों करोड़ का लोन लिया और विदेश भाग गए।
  • Bhushan Power and Steel Limited ने एक ही लोन को कई बैंकों में गिरवी रखकर फंड जुटाया।

प्राइवेट सेक्टर बैंकों में भी घोटाले

घोटाले सिर्फ सरकारी बैंकों तक सीमित नहीं हैं। प्राइवेट सेक्टर बैंकों में भी लोन फ्रॉड की संख्या बढ़ रही है। पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2022-24) में, प्राइवेट बैंकों में फ्रॉड की संख्या 6,000 से बढ़कर 23,000 हो गई।

सरकार और RBI की भूमिका

इन घोटालों के बाद, सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कई सख्त कदम उठाए हैं।

  1. Insolvency and Bankruptcy Code (IBC): इस कानून के तहत डिफॉल्टर्स की संपत्तियों को जब्त कर नीलाम किया जाता है।
  2. Fugitive Economic Offenders Act: इस कानून के तहत विदेश भागे अपराधियों को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है।

हालांकि, इन कदमों के बावजूद, बैंकों की रिकवरी दर अभी भी काफी कम है।

निष्कर्ष

12 लाख करोड़ रुपये का यह घोटाला भारतीय बैंकिंग सिस्टम में सुधार की सख्त जरूरत को दर्शाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मजबूत क्रेडिट पॉलिसी, राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकना, और सख्त नियम-कानून लागू करना इस समस्या का समाधान हो सकता है।

जब तक इन मुद्दों पर ठोस कदम नहीं उठाए जाते, भारतीय बैंकों का यह “मनी हीस्ट” जारी रहेगा।

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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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