Green Hydrogen: भारत में भविष्य की ऊर्जा और निवेश के अवसर 2025

भारत में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) एक क्रांतिकारी कदम है। यह ऊर्जा स्रोत न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है, बल्कि इसके जरिए भारत की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति को भी बढ़ावा मिलेगा। इस लेख में हम ग्रीन हाइड्रोजन की परिभाषा, इसके उत्पादन की प्रक्रिया, इसके उपयोग, चुनौतियों और भारत में इसके निवेश के अवसरों पर चर्चा करेंगे।

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Green Hydrogen क्या है?

Green Hydrogen वह हाइड्रोजन है, जिसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर, पवन, और जल ऊर्जा की मदद से पानी को इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के जरिए विभाजित करके उत्पादित किया जाता है। इसमें कार्बन उत्सर्जन बिल्कुल नहीं होता, जो इसे पर्यावरण के लिए अनुकूल बनाता है।

हाइड्रोजन के विभिन्न प्रकार

हाइड्रोजन को उत्पादन के स्रोतों के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:

  • ग्रे हाइड्रोजन: यह प्राकृतिक गैस से बनाया जाता है।
  • ब्लू हाइड्रोजन: इसमें कार्बन कैप्चर तकनीक का उपयोग होता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन: इसे नवीकरणीय ऊर्जा और पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से तैयार किया जाता है।
  • पिंक हाइड्रोजन: यह परमाणु ऊर्जा से तैयार होता है।

Green Hydrogen का उत्पादन कैसे होता है?

Green Hydrogen उत्पादन के लिए पानी और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। पानी को इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जाता है।

मुख्य प्रक्रियाएं:

  • अल्कलाइन इलेक्ट्रोलिसिस: यह पारंपरिक और सस्ती विधि है।
  • प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (PEM): यह उच्च दक्षता वाली विधि है।
  • सॉलिड ऑक्साइड इलेक्ट्रोलिसिस (SOE): यह नवीनतम तकनीक है, लेकिन महंगी है।

Green Hydrogen के उपयोग

  • औद्योगिक उपयोग: अमोनिया और स्टील उत्पादन में।
  • परिवहन: हाइड्रोजन से चलने वाले ईंधन सेल वाहनों के लिए।
  • बिजली उत्पादन: ऊर्जा भंडारण और वितरण के लिए।
  • विमानन: हाइड्रोजन-पावर्ड फ्लाइट्स में।

भारत में Green Hydrogen का भविष्य

भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में नेतृत्व करने की तैयारी में है।

महत्वपूर्ण आंकड़े:

  • भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा का बड़ा योगदान है।
  • भारत सरकार ने “नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन” के तहत ₹20,000 करोड़ का बजट आवंटित किया है।

भारत में Green Hydrogen की संभावनाएं:

  1. $125 बिलियन का बाजार: 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े उद्योगों का संभावित बाजार।
  2. 20% कार्बन उत्सर्जन में कमी: ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग से वैश्विक CO2 उत्सर्जन में 20% तक की कमी हो सकती है।

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निवेश के अवसर

ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़ी कंपनियां जैसे रिलायंस, अदानी, और अन्य बड़े खिलाड़ी इस क्षेत्र में भारी निवेश कर रहे हैं।

संभावित क्षेत्र:

  • इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण
  • ऊर्जा भंडारण और वितरण तकनीक
  • पाइपलाइन और लॉजिस्टिक्स
  • फ्यूल सेल वाहनों का निर्माण

Green Hydrogen की चुनौतियां

  1. उत्पादन की उच्च लागत: इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया महंगी है।
  2. इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: हाइड्रोजन स्टोरेज और वितरण के लिए विशेष तकनीक की आवश्यकता है।
  3. दक्षता: वर्तमान में तकनीकी दक्षता कम है।

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निष्कर्ष

Green Hydrogen भारत के ऊर्जा क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हो सकता है। यह न केवल पर्यावरण को बेहतर बनाएगा, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। अगर आप लंबे समय के निवेश की योजना बना रहे हैं, तो ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़ी कंपनियों और स्टार्टअप्स पर ध्यान देना फायदेमंद हो सकता है।

भारत में ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े निवेश और नीतियों पर नजर रखें, क्योंकि यह आने वाले दशकों में बड़े बदलाव का कारक बन सकता है।

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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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