Nifty 50 23,200 के नीचे: क्या वैश्विक तनाव ही गिरावट का मुख्य कारण है?

Nifty 50 23,200 के नीचे: 1 अप्रैल को भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स ने लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ समापन किया, और निफ्टी 23,200 के नीचे चला गया। सेंसेक्स 1,390 अंक (1.80%) और निफ्टी 353.65 अंक (1.50%) गिरा, जो कि बाजार में अस्थिरता का संकेत देता है। कुछ सेक्टरों में मामूली वृद्धि देखने को मिली, लेकिन वैश्विक अस्थिरताओं और घरेलू चिंताओं ने समग्र बाजार की भावना को नकारात्मक बना दिया।

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1 अप्रैल को बाजार का प्रदर्शन

सेंसेक्स 76,024.51 पर बंद हुआ, जिसमें 1,390.41 अंक (1.80%) की गिरावट रही, वहीं निफ्टी 23,165.70 पर बंद हुआ, जिसमें 353.65 अंक (1.50%) की गिरावट आई। इस दिन 2,651 शेयरों में तेजी आई, 1,230 शेयरों में गिरावट आई और 144 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।

निफ्टी के टॉप गेनर और लूजर

  • टॉप लूजर: एचसीएल टेक्नोलॉजीज, बजाज फिनसर्व, एचडीएफसी बैंक, श्रीराम फाइनेंस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स।
  • टॉप गेनर: इंडसइंड बैंक, ट्रेंट, बजाज ऑटो, जियो फाइनेंशियल, एचडीएफसी लाइफ।

सेक्टरों का प्रदर्शन

मीडिया सेक्टर में 2% की वृद्धि, तेल एवं गैस में 0.6% और टेलीकॉम में 2% की बढ़त रही, जबकि अन्य अधिकांश सेक्टरों ने नकारात्मक दिशा में कारोबार किया। आईटी, रियल्टी और कंज्यूमर ड्युरेबल्स सेक्टर में 2-3% की गिरावट रही।

निफ्टी के लिए प्रमुख रेजिस्टेंस लेवल

एंजेल वन के समीत चव्हाण का कहना है कि निफ्टी के लिए 23,700 और 23,800 के बीच एक मजबूत रेजिस्टेंस बना हुआ है। इस रेंज को पार करने में सफलता मिलने से तेजी की भावना को बल मिल सकता है और निफ्टी 24,000 के अहम स्तर को फिर से हासिल कर सकता है। इसके बाद निफ्टी 200-डीएसएमए तक पहुंच सकता है, जो वर्तमान में 24,080 के आसपास स्थित है।

घरेलू बाजार के लिए भविष्य की संभावनाएँ

चव्हाण ने घरेलू बाजार के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया, हालांकि उन्होंने वैश्विक घटनाओं पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता बताई। लंबे वीकेंड और टैरिफ से संबंधित अनिश्चितताओं को देखते हुए विशेष सतर्कता की आवश्यकता है, क्योंकि ये कारक बाजार की दिशा पर प्रभाव डाल सकते हैं।

वैश्विक व्यापार अनिश्चितता का प्रभाव

मेहता इक्किटीज के प्रशांत तापसे ने बताया कि अमेरिका द्वारा आयातित वस्तुओं पर रिसीप्रोकल टैरिफ लगाने से पहले निवेशकों ने अपने इक्विटी बाजार में सतर्कता बरती है। इन टैरिफ्स के लागू होने से भारत को अमेरिकी व्यापार पर जो बढ़त मिली थी, उस पर असर पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप घरेलू बाजारों ने वैश्विक बाजारों की तुलना में खराब प्रदर्शन किया, क्योंकि निवेशकों को डर था कि इन टैरिफ्स से बाजार की भावना प्रभावित हो सकती है और गिरावट और बढ़ सकती है।

निष्कर्ष

भारतीय स्टॉक बाजार वर्तमान में कई घरेलू और वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है। जबकि प्रमुख रेजिस्टेंस लेवल को पार करने की स्थिति में सुधार की उम्मीद है, वैश्विक व्यापार और टैरिफ के मुद्दे अभी भी जोखिम बने हुए हैं। निवेशकों को सतर्क रहकर इन घटनाओं की निगरानी करनी होगी ताकि वे बाजार के उतार-चढ़ाव से बच सकें।

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FAQs

  1. निफ्टी 23,200 के नीचे क्यों गिरा 1 अप्रैल को?
    निफ्टी की गिरावट का कारण वैश्विक व्यापार अनिश्चितताएँ, यूएस टैरिफ और प्रमुख सेक्टरों में कमजोरी रही। इन कारकों ने निवेशकों को चिंतित किया और बाजार में गिरावट आई।
  2. निफ्टी के प्रमुख रेजिस्टेंस लेवल क्या हैं?
    निफ्टी के लिए 23,700 और 23,800 के बीच मजबूत रेजिस्टेंस है। यदि निफ्टी इन लेवल्स को पार करता है, तो यह 24,000 तक जा सकता है और फिर 200-डीएसएमए को टारगेट कर सकता है, जो वर्तमान में 24,080 के आसपास है।
  3. वैश्विक व्यापार अनिश्चितता से भारतीय बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
    यूएस द्वारा लगाए गए रिसीप्रोकल टैरिफ से भारत के व्यापार लाभ पर असर पड़ सकता है, जिससे भारतीय बाजार में गिरावट का खतरा है। निवेशकों को इस स्थिति पर निगरानी रखने की जरूरत है क्योंकि यह बाजार की भावना को प्रभावित कर सकता है।

डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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