भारत की प्रमुख तेल कंपनियां Reliance Industries और रूसी कंपनी Rosneft द्वारा संचालित Nayara Energy अमेरिका की नई Tariff Policy के कारण संकट में आ गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सभी देशों से आयात पर 10% शुल्क लगाने की घोषणा और कुछ देशों पर विशेष रूप से भारी शुल्क लगाने से भारत की तेल रणनीति पर गहरा असर पड़ सकता है।
क्यों है खतरा?
भारत की कई रिफाइनरियां जैसे Reliance की Jamnagar Refinery और Nayara Energy की इकाइयां रियायती Crude Oil की खरीद पर निर्भर हैं, विशेषकर रूस और वेनेजुएला से। वहीं, इन कंपनियों का बड़ा राजस्व अमेरिका को refined products जैसे पेट्रोल, Jet Fuel और डीजल का Export करके आता है।
ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाया गया 26% Import Duty भारत के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। हालांकि, फिलहाल राहत यह है कि अमेरिकी Petroleum Association के हस्तक्षेप के बाद Energy Products को Tariff सूची से बाहर रखा गया है।
अमेरिका को निर्यात में Reliance का दबदबा
2024 के Shipping Data के अनुसार, अमेरिका को निर्यात होने वाले पेट्रोलियम उत्पादों में Reliance का हिस्सा 91% था, जबकि Nayara का हिस्सा महज 5% रहा। बाकी हिस्सा सरकारी तेल कंपनियों द्वारा कवर किया गया।
Reliance की Refining Capacity 13.6 लाख बैरल प्रतिदिन है और वह भारी और अशुद्ध कच्चे तेल जैसे वेनेजुएला या रूसी Ural Crude को प्रोसेस करने में सक्षम है। इस टेक्नोलॉजी के चलते Reliance को सस्ता Crude खरीदकर अमेरिका और यूरोप में महंगे दाम पर Fuel बेचने का फायदा मिला है।
ट्रंप की धमकी से क्या बदलेगा?
डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि अगर रूस ने यूक्रेन के साथ Peace Talks आगे नहीं बढ़ाए, तो रूसी तेल पर 25-50% तक का Tariff लगाया जा सकता है। इसके अलावा, वेनेजुएला से तेल आयात करने वालों पर 25% का Secondary Tariff भी लगाया गया है।
यदि ये Tariffs लागू होते हैं, तो Reliance और Nayara की Cost Efficiency और Export Profit Margin दोनों पर भारी असर पड़ेगा।
भारत का Trade Deficit अमेरिका के साथ
हालांकि भारत का अमेरिका के साथ कुल व्यापार अधिशेष 36 अरब डॉलर का है, लेकिन Energy Trade में भारत को घाटा हो रहा है। 2024 के डेटा के अनुसार:
- भारत ने अमेरिका को 4.4 अरब डॉलर का ईंधन निर्यात किया (51 लाख टन)
- अमेरिका से भारत ने 5.4 अरब डॉलर का Crude Oil (78.6 लाख टन) और 3.9 अरब डॉलर के Petroleum Products (1.37 करोड़ टन) आयात किए
कुल मिलाकर, भारत का अमेरिका के साथ Energy Trade Deficit 12-13 अरब डॉलर तक है।
निष्कर्ष
Reliance और Nayara जैसे दिग्गजों के लिए अमेरिकी Tariff नीति बड़ी चुनौती बन सकती है। अगर Energy Products पर छूट हटती है, तो भारत की Energy Security, Export Earnings और Crude Procurement Strategy तीनों पर असर पड़ेगा।
भारत को अब रणनीतिक स्तर पर अमेरिका के साथ Energy Diplomacy को मजबूत करना होगा ताकि सस्ते Crude का रास्ता बंद न हो और Export Revenue में गिरावट न आए।
Read Also: CDSL Share Price में गिरावट! ₹1,989 से ₹1,199 तक की फिसलन, निवेशकों को करना होगा सतर्क
Read Also: चीन से भारत में सस्ते सामान की बाढ़! सरकार हाई-लेवल मीटिंग्स में तैयार कर रही कड़ा प्लान
FAQs:
Q1: क्या Reliance और Nayara को तुरंत नुकसान होगा?
उत्तर: फिलहाल नहीं, क्योंकि American Petroleum Association के दबाव में Energy Products को Tariff से बाहर रखा गया है। लेकिन भविष्य में यह छूट हट सकती है।
Q2: क्या भारत अमेरिका से ज्यादा तेल खरीदता है या बेचता है?
उत्तर: भारत अमेरिका से ज्यादा Crude Oil और Petroleum Products खरीदता है, जिससे Energy Trade में भारत को घाटा होता है।
Q3: क्या ट्रंप की टैरिफ नीति से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स महंगे होंगे?
उत्तर: यदि Tariff लागू हो गए, तो कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिससे अंततः पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमतों पर असर पड़ सकता है।
डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम वरुण सिंह है। मैं एक डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हूं। मुझे ब्लॉग लिखना और वीडियो बनाना बेहद पसंद हैं। मेरा उद्देश्य है की पाठकों को फाइनेंस जगत से जुड़ी जानकारियों को हिंदी में सरल, शुद्ध और जल्दी उपलब्ध करवाना है।