आज की दुनिया में निवेश केवल म्यूचुअल फंड्स या SIP तक सीमित नहीं रहा है। निवेशकों की एक नई पीढ़ी अब खुद निवेश के फैसले लेकर बेहतरीन रिटर्न कमा रही है। फाइनेंस एक्सपर्ट और यूट्यूबर अक्षत श्रीवास्तव ने हाल ही में एक चौंकाने वाली चुनौती ली है – वे $1 मिलियन (लगभग 8.5 से 9 करोड़ रुपए) का पब्लिक पोर्टफोलियो बनाएंगे और उसे हर तिमाही YouTube पर ऑडिट करेंगे।
लेकिन सवाल ये है – क्या एक रिटेल निवेशक सच में म्यूचुअल फंड मैनेजर्स को हरा सकता है?
आइए जानते हैं अक्षत की वो 5 स्ट्रैटेजीज़ जिनके ज़रिए वो 99% फंड मैनेजर्स को हराने का दावा कर रहे हैं:
1. बेंचमार्क सेट करना – टेक-ओरिएंटेड NASDAQ इंडेक्स को टारगेट
अक्षत का कहना है कि अगर कोई पोर्टफोलियो मेनेजर आपका पैसा ले रहा है, तो उसे किसी बेंचमार्क से खुद की परफॉर्मेंस को मापना होगा। जैसे इंडिया में स्मॉल कैप फंड के लिए Nifty Smallcap, वैसे ही अक्षत ने अपने पोर्टफोलियो का बेंचमार्क NASDAQ को बनाया है क्योंकि उनका पोर्टफोलियो टेक-ओरिएंटेड है। उनका मानना है कि आने वाले 5 सालों में सबसे ज़्यादा ग्रोथ टेक सेक्टर से ही आएगी।
2. भारी कमीशन से बचाव – रिटर्न में बड़ा फर्क
अक्षत ने गणना कर के बताया कि अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और वहां 1% का कमीशन देना पड़ता है, तो 10 सालों में आपका रिटर्न लाखों रुपए कम हो सकता है।
उदाहरण:
- बिना कमीशन के 12% रिटर्न पर पोर्टफोलियो वैल्यू = ₹3.1 करोड़
- 1% कमीशन के साथ 11% रिटर्न = ₹2.83 करोड़
- अंतर = ₹30 लाख यानी करीब 9% नुकसान
यह नुकसान सिर्फ कमीशन के कारण होता है, जो DIY (Do It Yourself) पोर्टफोलियो में बचाया जा सकता है।
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3. मार्केट टाइमिंग की आज़ादी – Buffett भी करते हैं ये
लोग अक्सर कहते हैं कि “मार्केट टाइम नहीं करनी चाहिए” – लेकिन अक्षत ने इसे चुनौती दी है। उनका कहना है कि खुद वॉरेन बफे़ट इस समय कैश होल्ड कर रहे हैं, यानी वे भी मार्केट टाइमिंग कर रहे हैं।
जब NASDAQ में 20% से ज्यादा गिरावट आई, उस समय अक्षत ने 60-70% पोर्टफोलियो खरीदा। इसका नतीजा यह हुआ कि जहां NASDAQ में YTD -12% गिरावट रही, वहां उनका पोर्टफोलियो +2.5% मुनाफे में रहा – यानी 14% का अल्फा (बेंचमार्क से अतिरिक्त रिटर्न)।
4. मार्जिन ऑफ सेफ्टी पर खरीदना – डिस्काउंट पर निवेश
अक्षत के अनुसार निवेश तभी करना चाहिए जब बाजार ‘अंडरवैल्यूड’ हो। SIPs में पैसा हर महीने लगाना पड़ता है, लेकिन फंड मैनेजर चाहे या न चाहे, उसे पैसा लगाना ही होता है।
वहीं, DIY पोर्टफोलियो में जब मार्केट गिरा हो और स्टॉक्स डिस्काउंट पर मिलें – तभी निवेश करना ज़्यादा फायदेमंद होता है। इसे “Margin of Safety Buying” कहते हैं।
5. ओवरवैल्यूड मार्केट में सेलिंग की स्वतंत्रता
पोर्टफोलियो मैनेजर SIP फंड्स में नेट बायर रहते हैं, उन्हें मार्केट से पैसा निकालने की छूट नहीं होती। लेकिन अक्षत जैसे DIY निवेशक ओवरवैल्यूएशन के समय पोर्टफोलियो बेच सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर, उन्होंने Nifty Private Banks तब खरीदे जब वो गिरावट में थे, और टेक्निकल चार्ट के मुताबिक टारगेट पर पहुंचते ही बेच भी दिए। इस तरह वो लॉजिक और डेटा पर आधारित डिसीजन लेते हैं।
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अक्षत का मकसद – रिटेल इनवेस्टर्स को सशक्त बनाना
इस पब्लिक पोर्टफोलियो चैलेंज के ज़रिए अक्षत यह साबित करना चाहते हैं कि:
- रिटेल निवेशक भी सही स्ट्रैटेजी से शानदार रिटर्न कमा सकते हैं
- म्यूचुअल फंड्स पर निर्भर रहना जरूरी नहीं है
- निवेश के फैसलों को सीखकर और लागू करके कोई भी 99% प्रोफेशनल्स से बेहतर कर सकता है
निष्कर्ष: क्या आप भी ये रणनीतियाँ अपनाएंगे?
अक्षत की इन स्ट्रैटेजीज़ से यह साफ है कि अगर आप कमीशन बचाते हैं, सही समय पर निवेश करते हैं, और समझदारी से मार्केट को पढ़ते हैं – तो आप भी एक सफल निवेशक बन सकते हैं।
उनकी इस पब्लिक पोर्टफोलियो चुनौती को देखना न केवल रोमांचक होगा, बल्कि निवेशकों के लिए एक सीख भी बनेगा।
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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम वरुण सिंह है। मैं एक डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हूं। मुझे ब्लॉग लिखना और वीडियो बनाना बेहद पसंद हैं। मेरा उद्देश्य है की पाठकों को फाइनेंस जगत से जुड़ी जानकारियों को हिंदी में सरल, शुद्ध और जल्दी उपलब्ध करवाना है।