Tata Sons IPO: टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने अपने शेयरों को सूचीबद्ध कराने के लिए IPO (Initial Public Offering) लाने की किसी भी योजना से साफ इनकार कर दिया है। इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण एसपी समूह द्वारा दिया गया वह अनुरोध है, जिसमें उन्होंने कंपनी से IPO लाने पर विचार करने को कहा था। एसपी समूह टाटा संस में 18.5% की हिस्सेदारी रखता है और अपनी हिस्सेदारी का कुछ भाग बेचकर अपनी कर्ज देनदारियों को चुकाने के लिए धन जुटाना चाहता था।
Tata Sons IPO: एजीएम और एसपी समूह का अनुरोध:
टाटा संस की हाल ही में आयोजित हुई वार्षिक आम बैठक (AGM) में एसपी समूह ने टाटा संस के लिए IPO लाने का प्रस्ताव रखा था। इसके पीछे उनका उद्देश्य अपनी हिस्सेदारी के कुछ भाग को बेचकर फंड जुटाना था, ताकि वे अपने कर्ज चुकाने में सक्षम हो सकें। हालांकि, टाटा संस की तरफ से इस बारे में कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला है।
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टाटा संस के प्रवक्ता ने इस विषय पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, और एसपी समूह की तरफ से भी अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।
RBI सर्कुलर और टाटा संस की वित्तीय स्थिरता:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए NBFC Upper Layer सर्कुलर के अनुसार, इस श्रेणी में आने वाली सभी कंपनियों के लिए 2025 तक सूचीबद्ध होना अनिवार्य है। इससे टाटा संस पर भी IPO लाने का दबाव बढ़ गया था। हालांकि, मार्च 2024 में समाप्त हुए वित्त वर्ष में टाटा संस ने अपने 21,813 करोड़ रुपये के सभी कर्जों का पूरी तरह से भुगतान कर दिया है, जिससे उसकी वित्तीय स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
टाटा संस ने अब RBI को एक आवेदन प्रस्तुत किया है, जिसमें उन्होंने अपनी कंपनी को NBFC Upper Layer से हटाकर Core Investment Company (CIC) के रूप में बनाए रखने का अनुरोध किया है। इससे टाटा संस को खुद को सूचीबद्ध करने की बाध्यता से छुटकारा मिलेगा।
2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस ने 25% की वृद्धि के साथ 43,893 करोड़ रुपये का कुल राजस्व अर्जित किया, जबकि कर पूर्व लाभ 41,116.51 करोड़ रुपये रहा। इसके अलावा, कंपनी का शुद्ध कर्ज घटकर 2,679.19 करोड़ रुपये ऋणात्मक हो गया है, जिससे यह दर्शाता है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति बेहद मजबूत है। 31 मार्च, 2024 तक कंपनी का नकद शेष उसके कुल कर्ज से अधिक था, जो कि एक सकारात्मक संकेत है।
टाटा संस का मुनाफा और भविष्य की रणनीति:
टाटा संस ने 2023-24 में 34,653.98 करोड़ रुपये का कर पश्चात लाभ अर्जित किया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 57% अधिक है। इसने कंपनी की पूंजी संरचना को और भी सुदृढ़ कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि टाटा संस एक मजबूत वित्तीय स्थिति में है और उसे IPO लाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
RBI में CIC पंजीकरण वापसी की प्रक्रिया:
टाटा संस ने RBI को CIC के रूप में अपने पंजीकरण को स्वैच्छिक रूप से वापस लेने का आवेदन दिया है। इससे टाटा संस को सूचीबद्ध करने की अनिवार्यता समाप्त हो जाएगी। RBI का निर्णय जल्द आने की संभावना है, जिससे यह तय होगा कि टाटा संस Core Investment Company के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगी या नहीं।
हाल की वित्तीय जानकारी:
टाटा संस ने हाल ही में अपने वित्तीय प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार किया है, जिसमें उनका कुल राजस्व 43,893 करोड़ रुपये तक पहुंचा है। मार्च 2024 तक, टाटा संस का शुद्ध कर्ज ऋणात्मक हो चुका है, जबकि कंपनी के पास नकद शेष उसके सभी कर्जों से अधिक है। यह संकेत देता है कि टाटा संस की वित्तीय सेहत बेहद मजबूत है, और उसे IPO लाने की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है।
निष्कर्ष:
टाटा संस का IPO लाने से इनकार एक रणनीतिक निर्णय है, जिसमें कंपनी ने अपनी वित्तीय स्थिरता और दीर्घकालिक योजनाओं को प्राथमिकता दी है। एसपी समूह के अनुरोध के बावजूद, टाटा संस ने अपने कर्ज को चुका कर अपनी वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ किया है और सूचीबद्धता से बचने के लिए RBI से जरूरी कदम उठाए हैं। यह निर्णय कंपनी की दीर्घकालिक स्थिरता और विकास पर केंद्रित है, जो उसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत बनाए रखेगा।
डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।
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