अगर आप एक सैलरीड व्यक्ति हैं और Mutual Fund में निवेश करते हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि इस पर टैक्स कैसे लागू होता है। Mutual Fund के टैक्सेशन का निर्धारण दो कारकों पर निर्भर करता है:
- फंड का प्रकार (Equity-Oriented या Debt Fund)
- होल्डिंग पीरियड (यानी आपने निवेश कितने समय तक रखा है)।
Mutual Fund के टैक्सेशन की पूरी जानकारी
1. इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम्स पर टैक्स
इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम्स वे होती हैं, जिनमें मुख्यतः शेयर बाजार से जुड़े निवेश शामिल होते हैं।
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (Short-Term Capital Gain):
यदि आपने इक्विटी म्यूचुअल फंड्स को 12 महीने या उससे कम समय के लिए रखा है, तो इन पर अर्जित लाभ (Profits) को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। इन मुनाफों पर 20% की दर से टैक्स लगता है। - लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long-Term Capital Gain):
यदि आपने इन्हें 12 महीने से ज्यादा समय तक होल्ड किया है, तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्सेशन निम्नलिखित नियमों के तहत होता है:- सेक्शन 112A के अनुसार, 12.5% की दर से टैक्स लागू होता है।
- हर साल पहले ₹1.25 लाख तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है। यह छूट इक्विटी म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध शेयरों दोनों पर लागू होती है, लेकिन यह तभी संभव है जब आपने Securities Transaction Tax (STT) का भुगतान किया हो।
2. डेब्ट फंड्स पर टैक्स
डेब्ट फंड्स, जिनमें बॉन्ड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज जैसे इंस्ट्रूमेंट्स शामिल होते हैं, का टैक्सेशन थोड़ा अलग होता है।
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG):
यदि आपने डेब्ट फंड को 36 महीने या उससे कम समय के लिए होल्ड किया है, तो इन मुनाफों पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा। - लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG):
36 महीने से अधिक समय तक होल्ड किए गए डेब्ट फंड्स पर मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा।
इस पर टैक्स की दर 20% होती है, साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट भी मिलता है, जो टैक्स लायबिलिटी को कम करता है।
सैलरी और म्यूचुअल फंड मुनाफों पर टैक्स कैसे कैलकुलेट करें?
1. सैलरी इनकम पर टैक्स
आपकी सैलरी पर टैक्स की गणना पहले से तय स्लैब रेट्स के आधार पर की जाती है। आमतौर पर, आपका एम्प्लॉयर हर महीने आपके वेतन से टीडीएस (TDS) काटकर सरकार को जमा कर देता है।
2. म्यूचुअल फंड से जुड़े मुनाफों पर अतिरिक्त टैक्स लायबिलिटी
यदि आपकी सैलरी के अलावा म्यूचुअल फंड्स के मुनाफों से अतिरिक्त आय हो रही है, तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि यह भी आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाएगी।
- टीडीएस के बिना इनकम: यदि आपकी अतिरिक्त इनकम पर टीडीएस लागू नहीं है और आपकी कुल टैक्स लायबिलिटी ₹10,000 से अधिक हो जाती है, तो आपको एडवांस टैक्स (Advance Tax) जमा करना होगा।
- फॉर्म 12B का उपयोग: आप अपने एम्प्लॉयर को फॉर्म 12B के माध्यम से यह अतिरिक्त आय बता सकते हैं। इससे आपका एम्प्लॉयर सैलरी से एडजस्ट करते हुए अतिरिक्त टैक्स काट सकता है, जिससे आपको एडवांस टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
एडवांस टैक्स और सेल्फ-असेसमेंट टैक्स
एडवांस टैक्स कब भरें?
- यदि आपकी कुल टैक्स लायबिलिटी (सैलरी और अन्य आय मिलाकर) ₹10,000 से ज्यादा हो, तो आपको वित्त वर्ष के दौरान एडवांस टैक्स चुकाना होगा।
- एडवांस टैक्स की अदायगी के लिए चार नियत तिथियां होती हैं:
- 15 जून
- 15 सितंबर
- 15 दिसंबर
- 15 मार्च
अगर एडवांस टैक्स जमा नहीं किया तो?
यदि आपने समय पर एडवांस टैक्स नहीं भरा, तो आपको सेक्शन 234B और 234C के तहत ब्याज (Interest) का भुगतान करना होगा।
सेल्फ-असेसमेंट टैक्स (Self-Assessment Tax):
अगर आपकी टैक्स लायबिलिटी ₹10,000 से कम है, तो आप इसे एडवांस टैक्स की बजाय ITR फाइलिंग के समय सेल्फ-असेसमेंट टैक्स के रूप में भर सकते हैं।
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टैक्स बचाने के तरीके
- लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट: लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने से टैक्स दरें कम हो जाती हैं, खासकर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में।
- डेब्ट फंड्स में इंडेक्सेशन बेनिफिट: डेब्ट फंड्स में इंडेक्सेशन का लाभ लें ताकि महंगाई के कारण टैक्स लायबिलिटी कम हो।
- स्मार्ट टैक्स प्लानिंग: फॉर्म 12B का सही उपयोग करें और एडवांस टैक्स समय पर भरें।
निष्कर्ष
Mutual Fund पर टैक्सेशन सैलरीड व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण विषय है। यह आपके फंड के प्रकार और निवेश अवधि पर निर्भर करता है। टैक्स लायबिलिटी को समय पर समझकर प्लानिंग करें, ताकि आपको अतिरिक्त ब्याज और पेनाल्टी न चुकानी पड़े।
याद रखें, सही प्लानिंग से आप अपने टैक्स बोझ को कम कर सकते हैं और अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।
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आपने इसमें यह नहीं बताया की मान लो एक सेलरीड व्यक्ति का income tax 30% स्लेब में आ रहा है तो (LTCG)mutual fund reedem के दौरान 12.5 % के अनुसार लगेगा या फिर 30% के अनुसार लगेगा
यह बताने का श्रम करें मान्यवर ।
12.5% की दर से लगेगा।