चीन पर 125% टैरिफ से भारत को मिलेगा जबरदस्त फायदा! जानिए कौन से सेक्टर अमेरिका में मचाएंगे धूम

अमेरिका द्वारा चीनी उत्पादों पर लगाए गए 125% के भारी टैरिफ ने भारतीय उत्पादों के लिए अमेरिकी बाजार में एक सुनहरा अवसर पैदा किया है। Global Trade Research Initiative (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, टेक्सटाइल्स, लेदर, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में भारतीय उत्पाद अब अमेरिका में चीनी सामानों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।

90 दिनों का ‘गोल्डन विंडो’: क्या है खास?

हाल ही में अमेरिका की सरकार द्वारा जारी किए गए Executive Order के तहत, अधिकतर देशों को 90 दिनों की टैरिफ से राहत दी गई है। इस अवधि में भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों पर केवल 10% अतिरिक्त ड्यूटी लगेगी, जो पहले प्रस्तावित 26% तक की पनिशमेंट ड्यूटी की तुलना में बहुत कम है।

GTRI के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का मानना है कि,

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“यह अस्थायी राहत भारतीय निर्यातकों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है, खासकर उन सेक्टर्स में जहां भारत सीधे चीन से मुकाबला करता है।”

कौन-कौन से प्रोडक्ट होंगे प्रभावित?

  • जिन उत्पादों में कम से कम 20% US-मेड कंपोनेंट्स शामिल हैं, उनके सिर्फ नॉन-US हिस्से पर ही ड्यूटी लगेगी – बशर्ते वैल्यू ब्रेकडाउन स्पष्ट रूप से डिक्लेयर किया गया हो।
  • 5 अप्रैल से पहले भेजे गए और 27 मई तक अमेरिका पहुंचने वाले शिपमेंट्स पर कोई नई ड्यूटी नहीं लगेगी।
  • 5 अप्रैल से 9 अप्रैल के बीच भेजे गए शिपमेंट्स पर फ्लैट 10% टैरिफ लगाया जाएगा।

सरकार और निर्यातकों की रणनीति क्या हो?

GTRI ने सुझाव दिया है कि सरकार को:

  • Interest Equalisation Scheme को फिर से शुरू करना चाहिए ताकि छोटे एक्सपोर्टर्स को सस्ते कर्ज मिल सकें।
  • Customs Clearance की प्रक्रिया को तेज करना चाहिए ताकि इस सीमित समय का पूरा फायदा उठाया जा सके।

ट्रेड टॉक्स को मिल रही गति

Federation of Indian Export Organisations (FIEO) के अध्यक्ष एस. सी. राल्हन ने इसे एक “रणनीतिक ब्रेक” बताया जिससे भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड वार्ता को बढ़ावा मिलेगा।

मुंबई के एक्सपोर्टर एस. के. सराफ ने कहा:

“चीन से यार्न जैसे इनपुट्स सस्ते में मंगाकर हम गारमेंट्स बनाकर एक्सपोर्ट कर सकते हैं। ये एक ऐसा मौका है जहां हाथी (भारत) और ड्रैगन (चीन) साथ आ सकते हैं।”

भारत-अमेरिका ट्रेड टारगेट: 500 अरब डॉलर

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के साथ मीटिंग में बताया कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट तेजी से आगे बढ़ रहा है – लेकिन “जल्दबाज़ी नहीं, संतुलन के साथ।”
2025 तक दोनों देश बायलेट्रल ट्रेड को $500 बिलियन तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, जो फिलहाल लगभग $191 बिलियन है।

निष्कर्ष:

अगर भारत ने सही रणनीति अपनाई – जैसे तेजी से कस्टम्स क्लियरेंस, सस्ते फाइनेंस विकल्प और US बायर्स के साथ गहरे रिलेशन – तो यह 90 दिन की खिड़की लंबे समय तक चलने वाले अवसरों का द्वार खोल सकती है।

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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।


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