Yes Bank News: Yes Bankपर नियंत्रण को लेकर भारतीय और विदेशी निवेशकों के बीच खींचतान चल रही है। मौजूदा शेयर धारक अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। इस लेख में, हम Yes Bank पर नियंत्रण को लेकर चल रहे विवाद और इससे जुड़ी चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Yes Bank में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी
- 51% हिस्सेदारी की मांग:
विदेशी निवेशक Yes Bank में 51% हिस्सेदारी खरीदने की मांग कर रहे हैं, ताकि बैंक पर उनका पूरा नियंत्रण हो सके। - भारतीय रिजर्व बैंक का रुख:
RBI इस मांग से सहमत नहीं है, क्योंकि बैंकिंग नियमों के अनुसार, कोई भी निजी बैंक में किसी एक निवेशक की हिस्सेदारी 15% से अधिक नहीं हो सकती। - नियमों में बदलाव की आवश्यकता:
यदि RBI इस मांग को मानता है, तो उसे मौजूदा नियमों में बदलाव करना पड़ेगा। वर्तमान में, किसी भी निजी बैंक के प्रमोटर को 15 साल के अंदर अपनी हिस्सेदारी 26% तक लानी होती है। - धीरे-धीरे हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव:
RBI ने विदेशी निवेशकों को धीरे-धीरे हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव दिया है, ताकि बैंकिंग नियमों का पालन किया जा सके।
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विदेशी निवेशकों की अतिरिक्त मांगें
- बोर्ड में वोटिंग राइट्स:
51% हिस्सेदारी के साथ-साथ, विदेशी निवेशकों ने बोर्ड में बराबर वोटिंग राइट्स की भी मांग की है। हालांकि, RBI इस पर भी सहमत नहीं दिख रहा है। - मुख्य विदेशी निवेशक:
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फर्स्ट अबू धाबी बैंक और जापान के मिजो हो ग्रुप ने Yes Bank में 51% हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है। वे भारतीय स्टेट बैंक की 24% हिस्सेदारी से अधिक स्टेक लेना चाहते हैं।
FDI नियम और विदेशी निवेश
- FDI के नियम:
मौजूदा FDI नियम किसी भी भारतीय बैंक में विदेशी निवेशकों की कुल हिस्सेदारी 74% से अधिक नहीं होने देते हैं। यह हिस्सेदारी सभी निवेशकों की मिलाकर होती है, न कि किसी एक निवेशक की। - निजी बैंक में निवेश की सीमा:
किसी भी विदेशी निवेशक की हिस्सेदारी किसी भी सूरत में निजी बैंक में 15% से ज्यादा नहीं हो सकती है।
Yes Bank में भारतीय स्टेट बैंक की हिस्सेदारी
- SBI की हिस्सेदारी:
Yes Bank में फिलहाल भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की करीब 24% हिस्सेदारी है, जिसे वह बेचना चाहती है।
आरबीआई की चुनौतियां और संभावनाएं
- आरबीआई के सामने चुनौतियां:
आरबीआई के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह विदेशी निवेशकों की मांगों को कैसे पूरा करे, साथ ही बैंकिंग नियमों का भी पालन हो। क्या आरबीआई इन्हें कोई स्पेशल छूट देगा या नहीं, यह देखना बाकी है।
निष्कर्ष
Yes Bank पर विदेशी निवेशकों का कब्जा एक जटिल मुद्दा है, जिसमें कई बैंकिंग नियम और विनियम शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक को इन मांगों और नियमों के बीच संतुलन बनाना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह मुद्दा कैसे सुलझता है और Yes Bank का भविष्य किस दिशा में जाता है।
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(नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है और किसी भी प्रकार की निवेश सलाह नहीं देता। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।)
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