Gold Price: ब्याज दरों में कमी के संकेत मिलने से सोना निवेशकों के लिए शेयरों से बेहतर विकल्प बनकर उभरा है। पिछले दो साल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के दामों में करीब 60% तक की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि प्रमुख स्टॉक सूचकांकों में बढ़ोतरी इससे कम रही है। एसएंडपी 500 इंडेक्स 47.3% और डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 28.5% बढ़ा है, जबकि बीएसई सेंसेक्स ने इस दौरान 39.8% की बढ़त दर्ज की है।
2024 में सोने का शानदार प्रदर्शन
साल 2024 में भी सोने का प्रदर्शन शेयर बाजारों से बेहतर रहा है। इस साल अब तक सोने की कीमतों में 26.8% तक की वृद्धि देखी गई है, जबकि भारतीय इक्विटी बेंचमार्क में केवल 17.1% की तेजी आई है। इसके विपरीत, डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में अब तक महज 11.6% की बढ़ोतरी हुई है।
ब्याज दरों में कमी से सोने की कीमतों में उछाल
अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती के संकेत मिलते ही बॉन्ड यील्ड में गिरावट देखने को मिली है, जिसका सीधा प्रभाव सोने की कीमतों पर पड़ा है। अमेरिकी सरकारी बॉन्ड यील्ड, जो अक्टूबर 2023 में अपने उच्चतम स्तर पर थी, वहां से अब करीब 120 आधार अंक नीचे आ चुकी है। वहीं, भारत में भी 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड की यील्ड में पिछले एक साल में 50 आधार अंक और 2024 में अब तक 30 आधार अंक की गिरावट आई है, जिससे सोने की मांग और कीमतों में इजाफा हुआ है।
प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती
हाल ही में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने चार साल बाद ब्याज दरों में कटौती की है। इसके बाद यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) ने भी 25 आधार अंकों की कटौती की, जिससे वैश्विक बाजार में सोने की मांग बढ़ी है। ब्याज दरों में कमी और बॉन्ड यील्ड में गिरावट से सोने और शेयरों के भाव में उछाल देखने को मिला है, लेकिन सोने का प्रदर्शन अब भी शेयर बाजार से आगे बना हुआ है।
गोल्डमैन सैक्स: सोने की कीमतों में और वृद्धि संभव
गोल्डमैन सैक्स रिसर्च के अनुसार, फेड की ब्याज दरों में कटौती के बाद सोने की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंक सोने की खरीदारी बढ़ा सकते हैं, जिससे सोने के दाम और भी ऊपर जा सकते हैं। रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2022 से मार्च 2024 के बीच प्रत्येक तिमाही में केंद्रीय बैंकों ने औसतन 310 टन सोने की शुद्ध खरीदारी की है, जो 2010 से 2022 तक प्रति तिमाही औसतन 119 टन थी।
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रूस-यूक्रेन युद्ध का सोने पर प्रभाव
ब्रोकिंग फर्म के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध और रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों ने सोने की खरीदारी में तेजी लाई है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण भू-राजनीतिक तनाव है, न कि केवल ब्याज दरों में कटौती या डॉलर इंडेक्स में गिरावट।
सोना रिकॉर्ड स्तर पर
सोने की कीमतों में जोरदार तेजी देखी गई है, जो मंगलवार को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। इसके पीछे मुख्य कारण अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती, चीन में आर्थिक प्रोत्साहन उपाय और पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की हाजिर कीमत 2,639.95 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई, जबकि अमेरिकी सोना वायदा 0.2 प्रतिशत बढ़कर 2,657.90 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। घरेलू बाजार में भी सोने की कीमतों में तेजी जारी रही। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अक्टूबर में डिलीवरी के लिए सोने के वायदा अनुबंध की कीमत में 149 रुपये की बढ़ोतरी हुई, जिससे यह 74,444 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया।
निष्कर्ष
सोने का प्रदर्शन पिछले दो वर्षों में वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक कारकों से प्रभावित रहा है। ब्याज दरों में कटौती और भू-राजनीतिक अस्थिरता के चलते सोना निवेश के लिए एक सुरक्षित विकल्प बनकर उभरा है। गोल्डमैन सैक्स और अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि 2024 में भी सोने की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रह सकती है, जिससे निवेशकों को अच्छा लाभ मिलने की संभावना है।
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