EV Stocks: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बिक्री 2023 में रिकॉर्ड तोड़ स्तर पर पहुँच गई है। EV सेक्टर में तेजी से वृद्धि हो रही है, और यह सिर्फ वाहनों तक सीमित नहीं है। पूरा EV इकोसिस्टम, जिसमें बैटरी, रिसाइक्लिंग, और मटेरियल सप्लाई भी शामिल हैं, तेजी से विस्तार कर रहा है। इस आर्टिकल में हम चार ऐसी कंपनियों के बारे में बताएंगे जो EV ट्रेंड का हिस्सा हैं। क्या आपको इनमें निवेश करना चाहिए? आइए जानते हैं।
Tata Chemicals: सोडा ऐश से EV बैटरी का कनेक्शन
टाटा केमिकल्स सिर्फ सोडा ऐश बनाने वाली कंपनी नहीं है, बल्कि इसका संबंध EV बैटरी के निर्माण से भी है। लिथियम आयन बैटरी बनाने के लिए लिथियम को प्रोसेस करने में सोडा ऐश का इस्तेमाल होता है। टाटा केमिकल्स, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सोडा ऐश निर्माता है, और इसका EV बैटरी इंडस्ट्री में बड़ा योगदान हो सकता है।
कंपनी ने गुजरात के साणंद प्लांट में लिथियम आयन सेल फैक्ट्री स्थापित करने के लिए ₹3000 करोड़ का निवेश किया है, जिसकी कैपेसिटी 20 गीगावाट तक हो सकती है। जैसे-जैसे EV की मांग बढ़ती है, टाटा केमिकल्स का भविष्य भी उज्जवल दिख रहा है।
Gravita India: बैटरी रिसाइक्लिंग में भविष्य की चमक
ग्रेविटा इंडिया भारत की प्रमुख लीड रिसाइक्लिंग कंपनियों में से एक है। EVs में 12 वोल्ट की लेड-एसिड बैटरियों का उपयोग होता है, जिससे ग्रेविटा को फायदा हो सकता है। इसके अलावा, कंपनी लिथियम आयन बैटरी रिसाइक्लिंग में भी अपना कदम बढ़ा रही है।
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2030 तक EV बैटरियों के बड़े पैमाने पर रिटायर होने की संभावना है, जिससे बैटरी रिसाइक्लिंग इंडस्ट्री का उभरना तय है। ग्रेविटा ने पहले ही इसके लिए चाइना में पायलट प्रोजेक्ट्स की तैयारी शुरू कर दी है, जो इसे इस क्षेत्र में लीडर बना सकता है।
HEG: ग्रेफाइट से बनेगा EV बैटरी का आधार
HEG दुनिया की सबसे बड़ी ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड निर्माता है, जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस में स्टील बनाने के लिए होता है। परंतु, HEG का असली महत्व EV बैटरी निर्माण में है, जहाँ ग्रेफाइट का उपयोग एनोड मटेरियल के रूप में होता है। EV बैटरी में लगभग 20-25% ग्रेफाइट का उपयोग किया जाता है, जो लिथियम से भी अधिक है।
HEG ने EV बैटरी के लिए एनोड्स बनाने के लिए एक नई सब्सिडियरी, The Advanced Carbons Company (TACC) की स्थापना की है। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट के लिए ₹1000 करोड़ का निवेश किया है और यह मार्च 2025 तक उत्पादन शुरू करने की योजना बना रही है।
Hindalco Industries: एलुमिनियम और कॉपर से बनेगा EV का भविष्य
हिंडाल्को, जो आदित्य बिड़ला ग्रुप का हिस्सा है, एलुमिनियम और कॉपर के प्रमुख उत्पादक हैं। EVs की बढ़ती मांग के कारण इन मेटल्स की भी मांग तेजी से बढ़ रही है। एलुमिनियम हल्का होता है और स्टील से ज्यादा एनवायरनमेंट-फ्रेंडली है, जिससे EV की ड्राइविंग रेंज बढ़ाई जा सकती है।
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2030 तक, हर EV में लगभग 430 किलो एलुमिनियम का उपयोग होने की संभावना है। इसके साथ ही, कॉपर की भी भारी मांग है, क्योंकि EVs में इंटरनल कम्बशन इंजन की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा कॉपर का उपयोग होता है।
क्यों करें इन स्टॉक्स में निवेश?
EV सेक्टर आने वाले सालों में जबरदस्त ग्रोथ करने वाला है। इन चार कंपनियों की मजबूत नींव और EV इकोसिस्टम में इनकी गहरी भागीदारी इन्हें लंबे समय में बेहतरीन निवेश विकल्प बनाती हैं। टाटा केमिकल्स, ग्रेविटा इंडिया, HEG और हिंडाल्को सभी अपने-अपने क्षेत्रों में लीडर हैं, और इनकी प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग से इनके शेयर की कीमतें भी ऊंचाई छू सकती हैं।
निष्कर्ष
भारत का EV सेक्टर एक नए युग की शुरुआत कर रहा है, और यह सिर्फ EV निर्माता कंपनियों तक सीमित नहीं है। पूरा सप्लाई चेन, रिसाइक्लिंग और मटेरियल्स सप्लाई भी इस ट्रेंड का हिस्सा हैं। इन 4 कंपनियों में निवेश से आपको लंबे समय में फायदा मिल सकता है, भविष्य में इनकी मांग और भी बढ़ने वाली है।
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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।
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