Tata Sons ने रचा इतिहास, 18 साल बाद कर्ज मुक्त होकर बनाएगी अरबों का मुनाफा!

Tata Sons जो टाटा समूह की मुख्य होल्डिंग कंपनी है, 18 साल में पहली बार शुद्ध आधार पर कर्ज-मुक्त हो गई है। वित्त वर्ष 2023 के अंत तक कंपनी पर 22,176 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो मार्च 2024 तक घटकर मात्र 363.2 करोड़ रुपये रह गया। इसके बावजूद, Tata Sons के पास वित्त वर्ष 2024 के अंत तक 3,042 करोड़ रुपये की नकदी और समतुल्य राशि थी। इस आंकड़े से स्पष्ट है कि कर्ज चुकाने के बाद भी कंपनी के पास 2,679.2 करोड़ रुपये की नकदी बचेगी, जो इसे नए निवेश अवसरों में तेजी से कदम बढ़ाने में मदद करेगी।

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Tata Sons: शुद्ध कर्ज में गिरावट और मजबूत बैलेंस शीट

मार्च 2020 के अंत में Tata Sons पर 31,603 करोड़ रुपये का सर्वाधिक कर्ज था। उस समय कंपनी का शुद्ध कर्ज एवं इक्विटी का अनुपात 0.56 था। हालांकि, मार्च 2024 में Tata Sons की स्थिति पूरी तरह से बदल गई है, क्योंकि कंपनी ने 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया और अपनी बैलेंस शीट को कर्ज-मुक्त कर लिया। वित्त वर्ष 2024 में, टाटा संस की कुल आय लाभांश और शेयर पुनर्खरीद के माध्यम से 43,800 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2021 में केवल 19,500 करोड़ रुपये थी। यह महत्वपूर्ण वृद्धि कंपनी की वित्तीय स्थिति में स्थिरता और वृद्धि को दर्शाती है।

सूचीबद्ध कंपनियों से मजबूत लाभांश आय

Tata Sons को टाटा समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा मोटर्स, टाइटन और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स से मजबूत लाभांश प्राप्त होता है। इन आय स्रोतों ने कंपनी को कर्ज चुकाने के साथ-साथ नए निवेश क्षेत्रों में विस्तार करने की क्षमता दी है। कंपनी के कर्ज-मुक्त होने से वह भविष्य में उच्चतम विकास दर वाले उद्यमों में निवेश कर सकेगी, जैसे कि सेमीकंडक्टर, ईकॉमर्स, रक्षा, और विमानन क्षेत्र।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण: अधिग्रहण और विस्तार

Tata Sons इससे पहले 2006 में भी कर्ज-मुक्त थी, जब उसने वैश्विक स्तर पर कई बड़े अधिग्रहण किए थे। उदाहरण के लिए, 2006 में टाटा स्टील ने कोरस समूह का 12.1 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया था, जो उस समय की सबसे बड़ी अधिग्रहण डील थी। इसी तरह, 2008 में टाटा मोटर्स ने ब्रिटेन की लक्जरी कार निर्माता कंपनी जगुवार लैंड रोवर (JLR) को 2.3 अरब डॉलर में खरीदा था। इन अधिग्रहणों में टाटा संस ने परोक्ष रूप से योगदान किया, जिससे संबंधित कंपनियों को अतिरिक्त पूंजी जुटाने में मदद मिली।

पूंजी निवेश की रणनीति

वित्त वर्ष 2006 से 2013 के दौरान, टाटा संस का इक्विटी निवेश सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध फर्मों में 6 गुना बढ़ गया। उदाहरण के लिए, मार्च 2006 में टाटा संस का गैर-सूचीबद्ध फर्मों में निवेश 5,218 करोड़ रुपये था, जो मार्च 2013 में 18,914 करोड़ रुपये तक बढ़ गया। इसी अवधि में, टाटा समूह की सूचीबद्ध कंपनियों में टाटा संस का निवेश 3,881 करोड़ रुपये से बढ़कर 22,799 करोड़ रुपये हो गया।

हाल के निवेश: नए क्षेत्रों में विस्तार

हाल के वर्षों में, Tata Sons ने रिटेल, ईकॉमर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर विनिर्माण, और रक्षा जैसे तेजी से उभरते क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी है। पिछले तीन वर्षों में, टाटा संस ने समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में 38,300 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिससे इन क्षेत्रों में कंपनी का दबदबा और अधिक मजबूत हुआ है। मार्च 2024 तक, टाटा संस का कुल निवेश गैर-सूचीबद्ध फर्मों में 71,300 करोड़ रुपये हो गया।

निष्कर्ष

Tata Sons की यह रणनीतिक पहल न केवल समूह को वित्तीय रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि इसे नई प्रौद्योगिकियों और तेजी से बढ़ते वैश्विक बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करेगी। कर्ज-मुक्त बैलेंस शीट और उच्च नकदी प्रवाह के साथ, टाटा संस अब उन क्षेत्रों में निवेश कर सकेगी जो आने वाले दशकों में उच्चतम विकास दर का वादा करते हैं।

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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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