तेजी के बाजार में, जब शेयरों के भाव लगातार बढ़ते हैं, तो नए निवेशक भी खुद को अपराजेय समझने लगते हैं। लगातार मुनाफे से मिलने वाला उत्साह अक्सर ओवरकॉन्फिडेंस का कारण बन जाता है, जिससे कई लोग मानने लगते हैं कि उन्होंने निवेश का हुनर सीख लिया है।
हालांकि, फिलहाल दलाल स्ट्रीट में मंदी का माहौल बना हुआ है, जिसमें भारतीय शेयर बाजार में पिछले एक महीने से लगातार करेक्शन देखने को मिल रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी 50 अपने रिकॉर्ड स्तरों से 10% से ज्यादा की गिरावट के साथ नीचे आ चुके हैं, जिससे सबसे बुलिश निवेशकों की भी हालत डगमगाने लगी है।
इस बाजार गिरावट के बीच, दिग्गज निवेशक Vijay Kedia ने खुद को ‘मार्केट गुरु’ समझने वाले नए निवेशकों पर हल्के-फुल्के अंदाज में कटाक्ष किया है। ये वही नौसिखिए ट्रेडर्स हैं जो बुल रन के दौरान अचानक समझने लगते हैं कि उन्होंने अमीरी का फॉर्मूला पा लिया है और अनुभवी निवेशकों की तरह सुझाव देने लगते हैं।
माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट X (पूर्व में Twitter) पर केडिया ने एक हास्यप्रद, लेकिन सोचने पर मजबूर करने वाला पोस्ट किया। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे बुल और बियर बाजार के दौरान निवेशकों की मनोस्थिति बदलती है।
In a bull market, a beginner becomes an analyst, chartist, advisor, economist, and genius in 7 days. In a bear market, a genius becomes a beginner in 7 hours. 😍 pic.twitter.com/XPq4W8vvPR
— Vijay Kedia (@VijayKedia1) November 13, 2024
Vijay Kedia ने लिखा, “बुल मार्केट में एक नौसिखिया 7 दिनों में विश्लेषक, चार्टिस्ट, सलाहकार, अर्थशास्त्री और जीनियस बन जाता है। बियर मार्केट में एक जीनियस 7 घंटों में नौसिखिया बन जाता है।” इस पोस्ट में एक ग्राफिक शामिल था, जो इस बदलाव को मजाकिया ढंग से दर्शाता है।
बुल बनाम बियर मार्केट में निवेशकों का मनोविज्ञान
तेजी के बाजार (bull market) में, शेयरों के भाव लगातार बढ़ते हैं और इससे नए निवेशक खुद को अपराजेय मानने लगते हैं। लगातार मुनाफे से उन्हें लगता है कि उन्होंने निवेश की कला में महारत हासिल कर ली है। दूसरी ओर, मंदी के बाजार (bear market) में गिरते हुए शेयर भाव निवेशकों के आत्मविश्वास को हिला देते हैं। यहां तक कि अनुभवी निवेशकों के लिए भी बाजार की उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाना चुनौती बन जाता है, जो उनके निवेश रणनीतियों की सीमाओं को उजागर करता है।
Vijay Kedia का यह विचार दर्शाता है कि शेयर बाजार की अनिश्चित दुनिया में सेंटिमेंट्स कितनी तेजी से बदल सकते हैं।
भारतीय बाजार में हालिया गिरावट का ट्रेंड
भारतीय शेयर बाजार ने हाल ही में इस ट्रेंड को दोहराया है। जून से सितंबर तक बेंचमार्क निफ्टी में 16.6% की बढ़ोतरी हुई और 27 सितंबर को यह 26,277.35 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि, अक्टूबर और नवंबर में विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार बिकवाली, कमजोर तिमाही नतीजों और घरेलू ग्रोथ की चिंताओं ने भारतीय इक्विटी को दबाव में ला दिया। नतीजतन, निफ्टी 50 अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से 10.5% नीचे आ चुका है, जिससे यह करेक्शन की स्थिति में आ गया है।
Vijay Kedia की यह टिप्पणी उन सभी निवेशकों को याद दिलाती है कि बाजार में बढ़ते उतार-चढ़ाव के बीच संतुलित दृष्टिकोण रखना आवश्यक है, और यह समझना भी जरूरी है कि हर तेजी के बाद मंदी आती है।
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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।
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