Active Vs Passive Mutual Fund: दोस्तों म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर हर कोई पैसा बनाना चाहता है लेकिन निवेशकों के मन में अक्सर यह सवाल उठता रहता है की उनको किस तरह के म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना चाहिए, कहने का मतलब है की एक्टिव म्यूचुअल फंड में या पैसिव म्यूचुअल फंड में!
आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की एक्टिव म्यूचुअल फंड और पैसिव म्यूचुअल फंड (Active Vs Passive Mutual Fund) में कौन सा तरीका है आपके लिए बेहतर?
एक्टिव म्यूचुअल फंड क्या हैं? (What is an Active Mutual Fund)
एक्टिव म्यूचुअल फंड के नाम से ही समझ आ जाता है की इस तरह के म्यूचुअल फंड स्कीम में फंड मैनेजर सक्रिय रूप से अपनी विशेषज्ञता अनुसार, शेयर मार्केट के विश्लेषण और भविष्य के हिसाब से अपने द्वारा मैनेज किए जा रहे म्यूचुअल फंड्स की स्कीम के लिए स्टॉक्स का चयन करते हैं।
जरूरत और समय के हिसाब से समय-समय पर म्यूचुअल फंड मैनेजर द्वारा स्टॉक्स की खरीदारी और बिकवाली की जाती है, इस कार्य में उसकी मदद के लिए फंड हाउस में रिसर्च एनालिस्ट की पूरी एक टीम होती है। इस तरह के एक्टिव म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर की काबिलियत पर ही उस फंड का रिटर्न निर्भर करता है।
पैसिव म्युचुअल फंड क्या है? (What is Passive Mutual Fund)
एक्टिव म्यूचुअल फंड के विपरीत पैसिव म्यूचुअल फंड किसी इंडेक्स को आधार मानकर उसमें इन्वेस्ट करते हैं। उदाहरण के लिए अगर हम निफ्टी-50 इंडेक्स फंड में निवेश करते हैं तो फंड मैनेजर हमारे पैसे को सीधे निफ्टी-50 के स्टॉक के बास्केट में निवेश करेगा। यहां म्यूचुअल फंड मैनेजर की न तो कोई योग्यता मायने रखती है और न ही म्यूचुअल फंड मैनेजर को अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना पड़ता है। म्यूचुअल फंड मैनेजर निवेशक का पैसा निफ्टी- 50 इंडेक्स फंड में उसी अनुपात में निवेश करेगा जिस अनुपात में निफ्टी-50 के स्टॉक्स का निफ्टी-50 में वेटेज होता है।
पैसिव म्यूचुअल फंड्स में फंड मैनेजर को मात्र आधार यानी बेस इंडेक्स को फॉलो और रिप्लिकेट करना होता है और इसी कारण से उसे किसी खास रिसर्च की जरूरत नहीं होती है। इस प्रकार के म्यूचुअल फंड में फंड का रिटर्न इंडेक्स के चयन पर निर्भर करता है न की म्यूचुअल फंड मैनेजर पर।
प्रसिद्ध निवेशक वारेन बफेट भी कई बार पैसिव फंड यानी इंडेक्स म्यूचुअल फंड्स में अपना भरोसा जाता चुके हैं, और जब इतना बड़ा निवेशक इंडेक्स इन्वेस्टिंग को प्रमोट करता है तो हम निवेशकों का कर्तव्य बनता है की इस पर गंभीर रूप से विचार-विमर्श करें।
Active Vs Passive Mutual Fund: एक तुलना
एक्टिव म्यूचुअल फंड | पैसिव म्यूचुअल फंड | |
एक्सपेंस रेश्यो | अधिक | कम |
फंड मैनेजर की काबिलियत | मायने रखती है। | मायने नहीं रखती है। |
ट्रेडिंग | अधिक खरीद और बिकवाली | कम खरीद और बिकवाली |
रिटर्न | अधिकतर इंडेक्स को बीट नहीं कर पाते। | ट्रैकिंग इंडेक्स के आस-पास का रिटर्न मिलता है। |
निफ्टी-50 जैसे इंडेक्स को बीट करना कठिन क्यों है?
निफ्टी-50 या सेंसेक्स के बारे में निवेशकों में एक भ्रांति है की ये इंडेक्स स्थिर हैं यानी इनमें कोई बदलाव नहीं होता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है। उपर्युक्त दोनों इंडेक्स के शेयर और उनके इंडेक्स में वेटेज समय-समय पर बदलते रहते हैं। देखा जाए तो निफ्टी-50 या सेंसेक्स एक्टिवली मैनेज होता है; सरकार और आरबीआई द्वारा परोक्ष रूप से, क्योंकि निफ्टी-50 को भारतीय इकोनॉमिक्स का बैरोमीटर माना जाता है जिसमें गिरावट होने पर सभी निफ्टी-50 को मैनेज करने के लिए सक्रिय हो जाते हैं।
निफ्टी-50 भारत की टॉप-50 कंपनियों का एक बास्केट है, जिसमें टॉप-10 कंपनियों का वेटेज निफ्टी-50 में 60% से भी ज्यादा होता है। जो भी निफ्टी की कंपनियां अच्छा प्रदर्शन नहीं करती उनका वेटेज निफ्टी-50 में कम कर दिया जाता है और अगर जरूरत पड़ती हैं तो निफ्टी-50 से बाहर भी निकाल दिया जाता है। यही काम म्यूचुअल फंड के मैनेजर भी करते हैं जिसके लिए एक्स्ट्रा फीस चार्ज करते हैं, इसके बावजूद भी निफ्टी को लगातार बीट नहीं कर पाते हैं।
क्या एक्टिव म्यूचुअल फंड नहीं लेना चाहिए?
जब हम अपना इक्विटी पोर्टफोलियो बनाते हैं और उसको डायवर्सिफाई करते हैं तो उस समय मिड और स्माल कैप के हिस्से के लिए हम एक्टिव म्युचुअल फंड को चुन सकते हैं। क्योंकि मिड और स्मॉल कैप में म्यूचुअल फ़ंड के लिए स्टॉक सलेक्शन की अपार संभावना है और अच्छा फंड मैनेजर अपने ट्रैकिंग इंडेक्स से बेहतर रिटर्न देने में सफल भी होता है यदि हम थोड़ा गहराई में जाएं तो पाएंगे की कई ऐसे म्यूचुअल फंड है जिन्होंने लगातार अपने ट्रैकिंग इंडेक्स को बीट किया है।
लेकिन ध्यान में रखने वाली बात यह है कि यहां भी ट्रैकिंग इंडेक्स को आधे से अधिक म्यूचुअल फंड मैनेजर बीट नहीं कर पाते हैं। यदि आपको मिड कैप और स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड में निवेश करना है तो आप एक्टिव म्युचुअल फंड पर विचार कर सकते हैं और एक अच्छे फंड मैनेजर का चयन करते हुए उसके द्वारा मैनेज फंड में निवेश कर सकते हैं।
निष्कर्ष
निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि लार्ज कैप म्यूचुअल फंड और पैसिव इंडेक्स फंड में चयन करना हो तो निफ्टी-50 जैसे इंडेक्स फंड का चयन करें और यदि मिड कैप और स्मॉल कैप म्युचुअल फंड में से किसी का चयन करना हो तो आपको एक्टिव म्युचुअल फंड पर विचार अवश्य करना चाहिए।
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डिस्क्लेमर: म्युचुअल फंड में निवेश बजाज जोखिमों के अधीन है कृपया निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।
FAQ
Q. इंडेक्स में कैसे निवेश कर सकते हैं?
Ans. इंडेक्स में दो प्रकार से निवेश किया जा सकता है, एक ईटीएफ खरीद कर और दूसरा इंडेक्स म्यूचुअल फंड्स द्वारा।
Q. क्या इंडेक्स म्यूचुअल फंड्स खरीदने के लिए डीमैट अकाउंट ओपन करना जरूरी है?
Ans. नहीं, इंडेक्स म्यूचुअल फंड्स आप अपने पसंद की किसी भी AMC की वेबसाइट से खरीद सकते हैं।
Q. इंडेक्स म्यूचुअल फंड्स की डायरेक्ट स्कीम और रेगुलर स्कीम में से कौन सी बेहतर है?
Ans. डायरेक्ट स्कीम, क्योंकि यहां पर म्यूचुअल फंड मैनेजर को अपनी बुद्धि विवेक का प्रयोग नहीं करना पड़ता है इस कारण से डायरेक्ट स्कीम का चुनाव करके कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड में निवेश कर सकते हैं।
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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम वरुण सिंह है। मैं एक डिजिटल कंटेंट क्रिएटर हूं। मुझे ब्लॉग लिखना और वीडियो बनाना बेहद पसंद हैं। मेरा उद्देश्य है की पाठकों को फाइनेंस जगत से जुड़ी जानकारियों को हिंदी में सरल, शुद्ध और जल्दी उपलब्ध करवाना है।
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