सोना हमेशा चमकता है, लेकिन 2025 में सिल्वर ने सबको पीछे छोड़ दिया! Silver ETFs ने इस साल year-to-date (YTD) 83% से ज्यादा और 1 साल में 55%+ रिटर्न्स दिए हैं। भारत में सिल्वर की कीमत 6 अक्टूबर को ₹156/ग्राम (₹1,56,000/किग्रा) पर पहुंची, जो पिछले शुक्रवार से ₹1,000 ज्यादा है। दीवाली, धनतेरस जैसे त्योहारों के साथ industrial demand और US Fed rate cuts ने सिल्वर को सुपरस्टार बना दिया। क्या ये सही समय है Silver ETFs में निवेश का? आइए, आसान भाषा में समझें क्यों सिल्वर ETFs निवेशकों की पहली पसंद बन रहे हैं, और कैसे ये आपके पोर्टफोलियो को चमका सकते हैं। लेकिन सावधान – मार्केट रिस्क्स को नजरअंदाज न करें!
Silver ETFs क्यों हैं हॉट फेवरेट?
Silver ETFs ने 2025 में बाकी asset classes को धूल चटाई। न सिर्फ ज्वेलरी या सजावट के लिए, बल्कि store of value के रूप में सिल्वर भारतीय घरों में खास है। ETFs इसे और आसान बनाते हैं – बिना purity या storage की टेंशन के सिल्वर में निवेश। रिटेल और institutional investors दोनों के लिए ये convenient और lucrative ऑप्शन है।
- YTD रिटर्न्स: 83%+ (जनवरी से सितंबर 2025)
- 1-ईयर रिटर्न्स: 55%+
- 3-ईयर CAGR: मिड-30% रेंज, जो किसी भी asset class के लिए शानदार।
- प्राइस जंप: जनवरी में $28.92/oz से सितंबर तक $46/oz (61% ↑)
Tata Mutual Fund की Gold and Silver Outlook Report (अक्टूबर 2025) कहती है कि सिल्वर अगले 3-5 सालों में gold को आउटपरफॉर्म कर सकता है। Gold-to-Silver ratio, strong industrial demand (चीन से), और global supply deficit इसकी चमक बढ़ाएंगे।
सिल्वर की चमक के पीछे क्या?
- त्योहारी डिमांड: दीवाली, धनतेरस, अक्षय तृतीया पर सिल्वर खरीदारी पीक पर।
- इंडस्ट्रियल बूम: सिल्वर का यूज electronics, solar panels, और electric vehicles (EVs) में बढ़ रहा है। ग्रीन एनर्जी से डिमांड और बूस्ट।
- US Fed Rate Cuts: सितंबर 2025 में 25 bps cut से सिल्वर प्राइसेस रैली की। अक्टूबर मीटिंग में और 25 bps cut की उम्मीद, अगर labor market कमजोर रहा।
- हेजिंग पावर: इक्विटी से low correlation, inflation और currency risk के खिलाफ सेफ-हेवन।
- सप्लाई डेफिसिट: ग्लोबल सिल्वर प्रोडक्शन डिमांड से पीछे, जो प्राइसेस को सपोर्ट करता है।
टॉप 6 Silver ETFs: AUM और रिटर्न्स की रेस
30 सितंबर 2025 तक NAV के आधार पर टॉप 6 Silver ETFs ने शानदार परफॉर्मेंस दिखाया। सभी ने 83%+ YTD और 55%+ 1-ईयर रिटर्न्स दिए। 3-ईयर CAGR मिड-30% रेंज में रहा। डिटेल्स (AUM, फंड नेम्स) स्पेसिफिक नहीं हैं, लेकिन ये फंड्स domestic silver prices को ट्रैक करते हैं। रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए SIP या lumpsum ऑप्शन्स आसान।
क्यों चुनें Silver ETFs?
- लो कॉस्ट: फिजिकल सिल्वर से सस्ता, storage कॉस्ट्स नहीं।
- लिक्विडिटी: डेली रिडेम्प्शन, transparent pricing।
- पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन: इक्विटी और debt के साथ बैलेंस।
टैक्स ट्रीटमेंट: सिल्वर ETFs पर टैक्स कैसे?
Silver ETFs को non-equity mutual funds की तरह टैक्स किया जाता है:
- लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG): 2 साल+ होल्डिंग पर 12.5% टैक्स (इंडेक्सेशन के साथ)
- शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG): 2 साल से कम पर slab rate टैक्स।
टैक्स-एफिशिएंट स्ट्रक्चर से लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को फायदा।
रिस्क्स: सावधानी बरतें
- शॉर्ट-टर्म वोलेटिलिटी: सिल्वर प्राइसेस ग्लोबल फैक्टर्स (USD, इंटरेस्ट रेट्स) से प्रभावित।
- मैक्रो हेडविंड्स: इन्फ्लेशन और weak labor market से प्रेशर।
- लिक्विडिटी रिस्क: कुछ ETFs में low trading volume से प्रीमियम/डिस्काउंट।
Tata MF की सलाह – लॉन्ग-टर्म (3-5 साल) होल्ड करें, शॉर्ट-टर्म डिप्स को इग्नोर करें।
फाइनेंशियल हाइलाइट्स: एक नजर
पैरामीटर | डिटेल्स |
---|---|
सिल्वर प्राइस | ₹156/ग्राम, ₹1,56,000/किग्रा |
YTD रिटर्न्स | 83%+ (2025) |
1-ईयर रिटर्न्स | 55%+ |
3-ईयर CAGR | मिड-30% रेंज |
ग्लोबल प्राइस | $46/oz (61% ↑ from $28.92) |
टैक्स (LTCG) | 12.5% (2 साल+) |
(सोर्स: Moneycontrol, Tata MF Outlook)
निष्कर्ष: सिल्वर ETFs में निवेश का सही समय?
2025 में Silver ETFs ने इक्विटी, गोल्ड, और बाकी assets को पीछे छोड़ा। त्योहारी सीजन, industrial demand, और US Fed rate cuts से सिल्वर की चमक बढ़ रही है। SIP शुरू करें या lumpsum इनवेस्ट करें, लेकिन 10-20% पोर्टफोलियो अलोकेशन रखें। लॉन्ग-टर्म में सिल्वर $50/oz टच कर सकता है। SEBI रजिस्टर्ड एडवाइजर से सलाह लें और SID (Scheme Information Document) पढ़ें।
डिस्क्लेमर: ये आर्टिकल इंफॉर्मेशनल पर्पस के लिए है। शेयर बाजार में रिस्क है, क्वालिफाइड फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें।
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