Mazagon Dock Shipbuilders में 20% उछाल की उम्मीद: FII और DII बुलिश, तमिलनाडु में नया शिपयार्ड MoU साइन – स्टॉक रडार पर

Mazagon Dock Shipbuilders: डिफेंस सेक्टर की PSU दिग्गज Mazagon Dock Shipbuilders (MDL) निवेशकों के लिए नया गेम-चेंजर बन रही है। कंपनी ने भारत के पूर्वी तट पर नया शिपयार्ड बनाने के लिए तमिलनाडु की नोडल एजेंसी Guidance Tamilnadu के साथ Memorandum of Understanding (MoU) साइन किया है। इस खबर के बाद बुधवार को स्टॉक में 1% से ज्यादा की तेजी देखी गई, जिसने ₹2,995 का इंट्राडे हाई छुआ। Foreign Institutional Investors (FII) और Domestic Institutional Investors (DII) दोनों इस स्टॉक पर बुलिश हैं, और उनकी हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हो रही है। आइए, MoU डिटेल्स, FII-DII होल्डिंग्स, स्टॉक परफॉर्मेंस और फ्यूचर आउटलुक को विस्तार से समझें।

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Mazagon Dock ने तमिलनाडु के साथ MoU साइन किया: नया शिपयार्ड, डिफेंस सेक्टर में विस्तार

19 सितंबर 2025 को Mazagon Dock Shipbuilders ने तमिलनाडु की नोडल एजेंसी Guidance Tamilnadu के साथ एक MoU साइन किया। इस समझौते पर MDL के डायरेक्टर बीजू जॉर्ज और Guidance Tamilnadu के मैनेजिंग डायरेक्टर व सीईओ डॉ. दारेज अहमद ने हस्ताक्षर किए। यह समारोह गुजरात के भावनगर में पोर्ट्स, शिपिंग और वाटरवेज मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हिस्सा लिया। रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक प्रेस रिलीज के जरिए इसकी पुष्टि की।

इस MoU का मकसद भारत के पूर्वी तट पर नई जहाज निर्माण सुविधाएं विकसित करना है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग का हिस्सा है। हालांकि, प्रोजेक्ट का सटीक साइज, लोकेशन और टाइमलाइन अभी घोषित नहीं की गई है। कंपनी ने बताया कि नया शिपयार्ड MDL की मौजूदा प्रोडक्शन कैपेसिटी को बढ़ाएगा और डिफेंस सेक्टर में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा। यह कदम रक्षा मंत्रालय की “Make in India” पहल के तहत महत्वपूर्ण है। हालिया अपडेट के अनुसार, इस प्रोजेक्ट से 5,000+ नौकरियां और लोकल इकॉनमी में बूस्ट की उम्मीद है।

Mazagon Dock Shipbuilders: भारत का डिफेंस शिपबिल्डिंग लीडर

रक्षा मंत्रालय के अधीन संचालित Mazagon Dock Shipbuilders भारत की सबसे जानी-मानी सरकारी शिपबिल्डिंग कंपनी है। मुंबई में मुख्यालय वाली यह कंपनी युद्धपोत, पनडुब्बियां और कमर्शियल जहाज बनाती है। इसका कोर बिजनेस डिफेंस शिपबिल्डिंग है, जिसमें नेवी के लिए डिस्ट्रॉयर्स, फ्रिगेट्स और सबमरीन्स शामिल हैं। कंपनी की मजबूत ऑर्डर बुक (₹38,000 करोड़+) और डिफेंस सेक्टर में बढ़ती डिमांड इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है। नया शिपयार्ड प्रोजेक्ट MDL की प्रेजेंस को पूर्वी तट पर विस्तार देगा, जो स्ट्रैटेजिक और कमर्शियल दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

FII और DII की बुलिश बेट: हिस्सेदारी में बढ़ोतरी, कॉन्फिडेंस हाई

Mazagon Dock Shipbuilders के स्टॉक पर FII और DII दोनों बुलिश हैं, और उनकी होल्डिंग्स में लगातार इजाफा हो रहा है। Trendlyne के डेटा के अनुसार:

  • FII होल्डिंग: मार्च 2025 में 2.3% थी, जो जून 2025 तक बढ़कर 2.6% हो गई। यह ग्लोबल इनवेस्टर्स के कॉन्फिडेंस को दर्शाता है।
  • DII होल्डिंग: मार्च 2025 में 1.7% थी, जो जून 2025 तक 5.2% हो गई। यह घरेलू म्यूचुअल फंड्स और इंश्योरेंस कंपनियों की मजबूत भागीदारी दिखाता है।
  • प्रमोटर होल्डिंग: सरकार की हिस्सेदारी 85%+ है, जो PSU स्टॉक्स की स्थिरता को रिफ्लेक्ट करती है।

FII और DII की बढ़ती हिस्सेदारी स्टॉक की लिक्विडिटी और प्राइस डिस्कवरी को बूस्ट करती है। स्टॉक ब्रोकर्स अपडेट: ICICI Securities ने ₹3,200 का टारगेट प्राइस दिया है, जो 7-10% अपसाइड का संकेत देता है। डिफेंस सेक्टर में भारत की ₹2.5 लाख करोड़ की डिफेंस एक्सपोर्ट टारगेट (2030 तक) से MDL को फायदा होगा।

स्टॉक परफॉर्मेंस: ₹2,920 का इंट्राडे हाई, मार्केट कैप ₹1,14,519 करोड़+

शेयरों में शुक्रवार को भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। NSE पर स्टॉक ने 2.91% की गिरावट के साथ ₹2,839 पर क्लोज किया, जो पिछले बंद भाव ₹2,924.20 से ₹85.20 की कमी दर्शाता है। दिन की ट्रेडिंग में ओपनिंग ₹2,920 पर हुई, हाई ₹2,920 और लो ₹2,821.10 तक पहुंचा, जबकि VWAP ₹2,860.41 रहा।

Q1FY26 में कंपनी की रेवेन्यू 15% YoY ग्रोथ के साथ ₹2,357 करोड़ रही, और Net Profit ₹450 करोड़ (20% YoY अप)। ऑर्डर बुक और शिपयार्ड एक्सपैंशन से FY26 में 18-20% रेवेन्यू ग्रोथ की उम्मीद है।

क्यों है Mazagon Dock निवेशकों की पसंद?

  • डिफेंस सेक्टर में बूम: भारत का डिफेंस बजट FY26 में ₹6.2 लाख करोड़ है, और MDL की ऑर्डर बुक सिक्योर है।
  • MoU का इंपैक्ट: नया शिपयार्ड प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ाएगा, जिससे कमर्शियल और डिफेंस ऑर्डर्स में ग्रोथ होगी।
  • FII-DII कॉन्फिडेंस: बढ़ती हिस्सेदारी स्टॉक को लॉन्ग-टर्म मल्टीबैगर बनने का सिग्नल देती है।
  • रिस्क: डिफेंस प्रोजेक्ट्स में डिलीवरी डिले और ग्लोबल सप्लाई चेन इश्यूज। लेकिन PSU स्टेटस और सरकार का सपोर्ट इसे सेफ रखता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख निवेश सलाह नहीं है। स्टॉक्स में निवेश से वित्तीय नुकसान हो सकता है। कृपया अपने निवेश सलाहकार से परामर्श करें।

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