क्या है Small Finance Banks के संकट का असली कारण? जानें क्यों इन बैंकों के शेयर गिर रहे हैं!

Small Finance Banks (SFBs) को लेकर पिछले कुछ सालों से चर्चा का माहौल बना हुआ है। जहाँ एक ओर बड़ी बैंकों के शेयर प्राइस में गिरावट देखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर Small Finance Banks (SFBs) के शेयरों की वृद्धि भी आकर्षक रही है। हालांकि, पिछले कुछ महीनों से Small Finance Banks के शेयरों में भारी गिरावट आ रही है, जिससे निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई है। इस लेख में हम जानेंगे कि इन बैंकों की स्थिति में इतनी बड़ी गिरावट क्यों आ रही है, इसके पीछे के कारण क्या हैं और इन बैंकों का भविष्य कैसा हो सकता है।

Small Finance Banks (SFBs) क्या होते हैं?

Small Finance Banks, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे व्यवसायों और किसानों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने के लिए स्थापित किए गए बैंकों का एक समूह है। ये बैंक्स खासकर उन स्थानों पर काम करते हैं, जहाँ बड़े बैंकों की पहुँच नहीं होती है। इन बैंकों का उद्देश्य प्राइवेट मनी लेंडर्स पर निर्भरता को कम करना और लोगों को सस्ते एवं सुरक्षित लोन मुहैया कराना है।

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Small Finance Banks के संकट के कारण:

1. बढ़ता हुआ Loan Default (लोन डिफॉल्ट):

Small Finance Banks का सबसे बड़ा संकट बढ़ते हुए loan defaults यानी लोन की अदायगी में देरी और डिफॉल्ट होना है। जैसा कि हमने देखा है कि लोन डिफॉल्ट होने के कारण बैंकों को ज्यादा provisions (प्रोविजन) रखने पड़ते हैं, जो उनके मुनाफे को कम कर देता है। इस स्थिति में जब बैंक को ज्यादा provisions रखने पड़ते हैं, तो उनके मुनाफे में गिरावट आ जाती है और कई बार यह उन्हें घाटे में भी डाल देता है।

2. NPA (Non-Performing Assets) में वृद्धि:

एनपीए यानी Non-Performing Assets वे लोन होते हैं जिनकी किश्तों का भुगतान 90 दिनों से अधिक समय तक नहीं किया जाता। Small Finance Banks में NPA का स्तर काफी बढ़ चुका है, जो एक चिंताजनक संकेत है। यह इंडस्ट्री में सामान्यतः 4-6% तक पहुँच चुका है, जो एक अलार्मिंग साइन है। जब NPA ज्यादा होता है, तो बैंक के लिए इन लोन को कलेक्ट करना बहुत मुश्किल हो जाता है, और यह बैंक के लिए वित्तीय समस्याएं पैदा करता है।

3. Multiple Loans (मल्टीपल लोन) की समस्या:

रूरल एरिया के कई लोग एक से अधिक बैंकों से लोन ले रहे हैं, लेकिन Small Finance Banks ने इसे ठीक से ट्रैक नहीं किया है। इस कारण से loan defaults की संख्या बढ़ गई है। लोग कई जगह से लोन लेकर उसे चुका नहीं पाते, और इससे बैंकों के लिए जोखिम बढ़ जाता है।

4. महंगाई और रोजगार की कमी:

महंगाई का असर भी Small Finance Banks की स्थिति को प्रभावित कर रहा है। बढ़ती महंगाई के कारण खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम होते हैं, जिससे लोगों की आय प्रभावित होती है और वे अपने लोन को चुकता नहीं कर पाते।

5. RBI के नियमों की सीमा:

Small Finance Banks को RBI द्वारा तय किए गए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। इनमें से एक है कि इन बैंकों को अपनी लोन बुक का 75% हिस्सा कृषि, छोटे व्यवसायों और अफोर्डेबल हाउसिंग में देना होता है। इस लिमिटेशन के कारण बैंकों को लोन देने में दिक्कतें आ रही हैं और इसके परिणामस्वरूप NPA बढ़ रहे हैं।

Small Finance Banks के लिए संभावनाएँ और समाधान:

1. बेहतर Risk Management (जोखिम प्रबंधन):

Small Finance Banks को अपने loan disbursal यानी लोन देने के तरीके को सुधारने की आवश्यकता है। उन्हें उच्च-जोखिम वाले unsecured loans (असुरक्षित लोन) से दूर रहकर secured loans (सुरक्षित लोन) जैसे housing loans (आवास ऋण) और commercial vehicle loans (व्यावसायिक वाहन ऋण) की ओर ध्यान देना चाहिए। इन लोन पर जोखिम कम होता है और ये बैंकों के लिए सुरक्षित निवेश साबित हो सकते हैं।

2. CASA Ratio (Current Account Saving Account Ratio) में सुधार:

Small Finance Banks का CASA ratio अभी बहुत कम है, जो लगभग 25% के आसपास है। इसे बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि CASA accounts (current और saving accounts) में जमा रकम पर कम ब्याज देना पड़ता है, जिससे बैंकों को कम खर्च में अधिक पैसा मिलता है।

3. टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग:

Small Finance Banks को अपनी तकनीकी क्षमता को बढ़ाना होगा। आजकल Fintech कंपनियों के बीच एक बड़ी प्रतिस्पर्धा है, जो डिजिटल प्लेटफार्मों पर लोन दे रही हैं। Small Finance Banks को इन Fintech कंपनियों के साथ साझेदारी करके अधिक लोन वितरित करने की कोशिश करनी चाहिए।

4. AU Small Finance Bank से सीख:

AU Small Finance Bank, अपने प्रतिस्पर्धी Small Finance Banks से अलग है, क्योंकि इसका 90% लोन सुरक्षित (secured) होते हैं। इसका Gross NPA (ग्रॉस एनपीए) बाकी बैंकों के मुकाबले कम है, जो इसे एक सुरक्षित बैंक बनाता है। Small Finance Banks को AU Small Finance Bank के मॉडल से सीखने की जरूरत है और अपनी जोखिम प्रबंधन नीतियों को सुधारने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

Small Finance Banks का भविष्य काफी उज्जवल हो सकता है, बशर्ते वे अपने जोखिम प्रबंधन पर ध्यान दें और अधिक सुरक्षित लोन वितरण की ओर कदम बढ़ाएं। अगर ये बैंक्स अपनी NPA रेट को कंट्रोल कर पाती हैं और CASA रेशियो में सुधार करती हैं, तो वे आने वाले समय में मजबूत स्थिति में आ सकती हैं।

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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):

1. Small Finance Banks क्या हैं और इनकी खासियत क्या है?

Small Finance Banks, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे व्यवसायों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाए गए बैंकों का समूह है। इनकी खासियत यह है कि ये बड़े बैंकों से ज्यादा छोटे व्यवसायों और किसानों को लोन प्रदान करते हैं।

2. Small Finance Banks के शेयर क्यों गिर रहे हैं?

Small Finance Banks के शेयर गिरने का मुख्य कारण बढ़ते हुए NPA और लोन डिफॉल्ट्स हैं। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई और रोजगार की कमी भी इन बैंकों के लिए समस्याएँ पैदा कर रही हैं।

3. Small Finance Banks के लिए भविष्य कैसा हो सकता है?

Small Finance Banks के लिए भविष्य उज्जवल हो सकता है, बशर्ते वे अपने जोखिम प्रबंधन पर ध्यान दें, सुरक्षित लोन देने पर जोर दें और अपनी CASA रेशियो को बढ़ाने की कोशिश करें।

डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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