Nippon India Mutual Fund (पहले रिलायंस म्यूचुअल फंड) के Yes Bank के AT-1 बॉन्ड में निवेश का फैसला उसके निवेशकों के लिए भारी नुकसान लेकर आया। म्यूचुअल फंड की कुछ स्कीमों में पैसा लगाने वाले निवेशकों को लगभग 1,830 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। AT-1 बॉन्ड को पूरी तरह से राइट डाउन कर दिया गया, जिससे यह हानि हुई।
AT-1 बॉन्ड: क्या है यह निवेश विकल्प?
AT-1 (Additional Tier-1) बॉन्ड एक प्रकार का डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसे बैंक अपनी पूंजी मजबूत करने के लिए जारी करते हैं। हालांकि, यह हाई-रिस्क इन्वेस्टमेंट होता है, और संकट की स्थिति में इन्हें राइट डाउन किया जा सकता है, जैसा कि Yes Bank के मामले में हुआ।
फंड हाउस पर सेबी के गंभीर आरोप
अगस्त 2024 में सेबी (SEBI) ने निप्पॉन इंडिया एमएफ को कारण बताओ नोटिस जारी किया। सेबी ने आरोप लगाया कि फंड हाउस ने इन लेन-देन से मैनेजमेंट फीस के तौर पर 88.60 करोड़ रुपये कमाए, जबकि निवेशकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। सेबी का दावा है कि इन निवेशों में ‘quid pro quo’ यानी लेन-देन का आपसी फायदा लेने की व्यवस्था थी।
रिलायंस म्यूचुअल फंड का नाम विवाद में क्यों आया?
जब ये लेन-देन हुए, तब रिलायंस म्यूचुअल फंड रिलायंस कैपिटल के स्वामित्व में था। जांच के दायरे में अन्य कंपनियां रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस भी शामिल हैं। रिलायंस म्यूचुअल फंड ने यस बैंक के AT-1 बॉन्ड में कुल 2,850 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसका एक हिस्सा मॉर्गन क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जारी NCDs में गया।
सितंबर 2019 में फंड हाउस का नाम बदलकर निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड कर दिया गया।
लेन-देन के संदेहास्पद पहलू
सेबी की जांच के अनुसार, दिसंबर 2016 से मार्च 2020 के बीच, रिलायंस कैपिटल और Yes Bank के बीच कई लेन-देन ने ‘quid pro quo’ की आशंका पैदा की।
- जनवरी 2017: यस बैंक ने रिलायंस होम फाइनेंस को 500 करोड़ रुपये की फैसिलिटी दी, जिसमें कैश क्रेडिट और NCD में निवेश शामिल था।
- अक्टूबर 2017: यस बैंक ने रिलायंस कैपिटल, रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस के NCDs में 2,900 करोड़ रुपये निवेश किए।
CBI भी कर रही है जांच
यह मामला सेबी के अलावा CBI की जांच के दायरे में भी है। दिसंबर 2024 में मनीकंट्रोल ने बताया कि निप्पॉन इंडिया एमएफ ने राणा कपूर परिवार की कंपनी मॉर्गन क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड के NCDs में 950 करोड़ रुपये का निवेश किया।
निवेशकों का भरोसा दांव पर
Nippon India Mutual Fund पर सेबी ने अपनी कुछ स्कीमों में अतिरिक्त खर्च करने और AMC नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया। सेबी ने यह भी सवाल उठाया है कि फंड हाउस से मैनेजमेंट फीस क्यों न वापस मांगी जाए और इसे प्रतिबंधित क्यों न किया जाए।
निष्कर्ष
Yes Bank के AT-1 बॉन्ड में निवेश से न केवल निवेशकों का भरोसा टूटा, बल्कि यह म्यूचुअल फंड के संचालन में पारदर्शिता और नैतिकता पर भी सवाल उठाता है। सेबी और CBI की जांच आने वाले दिनों में और अधिक खुलासे कर सकती है, जो निवेशकों और बाजार के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।
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