चुनाव परिणामों का असर हमेशा से भारतीय बाजारों पर गहरा रहा है। हाल ही में मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक Saurabh Mukherjee ने Zee Business के एक कार्यक्रम में भारतीय बाजार की मौजूदा स्थिति पर अपने विचार साझा किए। महाराष्ट्र चुनाव और बाजार के बीच के संबंध को समझते हुए, उन्होंने कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। आइए, विस्तार से जानें कि बाजार में निवेश के लिए उनकी क्या सलाह है।
चुनाव के नतीजों का बाजार पर प्रभाव
महाराष्ट्र चुनावों की टाइमिंग ने बाजार को सकारात्मक बढ़त दी। एनडीए की राजनीतिक स्थिति मजबूत दिखने से निवेशकों में आत्मविश्वास बढ़ा और एक रिलीफ रैली शुरू हुई। पिछले आठ से दस हफ्तों में 10% गिरावट झेलने के बाद बाजार में यह उछाल एक राहत के रूप में देखा गया।
आर्थिक मंदी का चक्र
Saurabh Mukherjee के अनुसार, कोविड के बाद के तीन वर्षों (2021-2023) में भारतीय अर्थव्यवस्था ने शानदार वृद्धि दर्ज की। हालांकि, पिछले चार तिमाहियों में EPS (अर्निंग्स पर शेयर) ग्रोथ में लगातार गिरावट आई है। यह ग्रोथ एक साल पहले 25-30% थी, लेकिन हाल ही में यह -5% पर आ गई। उनका मानना है कि यह मंदी कुछ और तिमाहियों तक बनी रह सकती है।
सरकार की प्राथमिकताओं में बदलाव
Saurabh Mukherjee ने उल्लेख किया कि सरकार अब कैपेक्स (Capital Expenditure) से ज्यादा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) पर ध्यान देगी। महाराष्ट्र चुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गरीब-हितैषी योजनाओं से सरकार को बड़ी राजनीतिक बढ़त मिलती है। इस बदलाव के चलते ग्रामीण भारत से जुड़े शेयर, जैसे ट्रैक्टर और टू-व्हीलर सेक्टर, निवेश के लिए बेहतर हो सकते हैं।
FII की बिकवाली जारी
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली अभी थमने की संभावना नहीं है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं:
- भारतीय रुपये की कमजोरी।
- अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स का बढ़ना।
इन कारकों के कारण बाजार में कमजोरी बनी रहेगी।
बाजार में संभावित गिरावट
मुखर्जी का मानना है कि अगले एक से दो वर्षों में बाजार में डबल डिजिट गिरावट देखने को मिल सकती है। खासकर हाई बीटा और PSU स्टॉक्स वाले निवेशकों को पोजिशन हल्की करने की सलाह दी गई है।
निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह
नए निवेशकों को बाजार में जल्दबाजी में प्रवेश करने के बजाय सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “यह समय सावधानी से काम लेने का है। जोश से ज्यादा समझदारी से कदम उठाएं।”
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अवसर
ग्रामीण भारत से जुड़े शेयरों में निवेश की सलाह दी गई है। सरकार के खर्च और अच्छे मानसून के कारण इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। विशेष रूप से ट्रैक्टर और टू-व्हीलर सेक्टर में उछाल देखने को मिल रहा है।
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निर्यात-केंद्रित सेक्टर
आईटी सेवाएं, फार्मा निर्यात, और रॉ मटेरियल एक्सपोर्ट से जुड़े शेयरों में मजबूत रिकवरी हो रही है। यह क्षेत्र निवेश के लिए आकर्षक अवसर प्रदान कर रहा है।
प्राइवेट कैपेक्स में सुधार
सरकारी खर्च में अस्थिरता हो सकती है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में कैपेक्स की रिकवरी जारी है। सौरभ मुखर्जी ने कहा कि प्राइवेट कैपिटल गुड्स कंपनियों में निवेश लाभदायक हो सकता है।
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वैश्विक निवेश पर जोर
मुखर्जी का कहना है कि भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था के बजाय अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर भरोसा करना अधिक फायदेमंद हो सकता है। खासकर आईटी और फार्मा जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों में निवेश बेहतर रिटर्न दे सकता है।
निष्कर्ष
Saurabh Mukherjee ने मौजूदा बाजार स्थिति को देखते हुए सतर्क निवेश का सुझाव दिया है। ग्रामीण और निर्यात-केंद्रित शेयरों में निवेशकों को बेहतर अवसर मिल सकते हैं। वहीं, हाई बीटा और कैपेक्स स्टॉक्स में पोजीशन हल्की करने की सलाह दी गई है।
अगर आप इस बाजार में कदम रखना चाहते हैं, तो सतर्क रहें और लंबी अवधि के लिए मजबूत कंपनियों में निवेश करें। ग्रामीण अर्थव्यवस्था और निर्यात सेक्टर आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।
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