Semiconductor Sector: भारत में Semiconductor सेक्टर तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है, और इस दिशा में जापानी कंपनियां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। Deloitte की रिपोर्ट के अनुसार, जापानी कंपनियां सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने के लिए भारत में बड़े उत्साह के साथ आगे आ रही हैं। उनके पास इस क्षेत्र में आवश्यक तकनीक और विशेषज्ञता है, जो भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी के लिए आदर्श बनाती है।
भारत-जापान साझेदारी: एक नई शुरुआत
जुलाई 2024 में, जापान ने अमेरिका के बाद भारत के साथ Semiconductor इको सिस्टम के संयुक्त विकास और वैश्विक सप्लाई चेन की मजबूती के लिए समझौता किया। इस समझौते में सेमीकंडक्टर डिजाइन, निर्माण, उपकरण अनुसंधान और टैलेंट डेवलपमेंट शामिल हैं।
जापान की विशेषज्ञता
जापान में लगभग 100 सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र हैं, जो इसे दुनिया के शीर्ष पांच Semiconductor इको सिस्टम वाले देशों में से एक बनाते हैं।
- जापानी कंपनियां Semiconductor वेफर्स, केमिकल्स और गैसेस, और चिप निर्माण उपकरणों के लिए लेंस निर्माण में वैश्विक अग्रणी हैं।
- इसके अलावा, जापान के पास अत्याधुनिक डिस्प्ले टेक्नोलॉजीज भी हैं, जो सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए आवश्यक हैं।
भारत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य
भारत अगले 10 वर्षों में 10 Semiconductor निर्माण संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। Deloitte India के अध्यक्ष रोहित बेरी ने कहा, “जापान से बेहतर कोई साझेदार नहीं हो सकता, जो भारत को इस महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में मदद कर सके।”
सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम: केवल फैक्ट्री तक सीमित नहीं
बेरी ने जोर दिया कि Semiconductor सेक्टर केवल एक फैक्ट्री स्थापित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पूरे इकोसिस्टम का विकास शामिल है। जापानी कंपनियां, जिन्होंने जापान और अन्य देशों में ऐसे इकोसिस्टम बनाए हैं, इस लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
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सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी
बेरी ने कहा कि इस परियोजना की सफलता के लिए केंद्र, राज्य, निजी क्षेत्र और जापानी साझेदारों की संयुक्त भागीदारी अनिवार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं की निरंतरता इस क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाएगी।
भारत-जापान साझेदारी: पीढ़ियों तक लाभ
Deloitte Japan के Shingo Kamaya ने बताया कि जापानी कंपनियां भारत में निवेश को लेकर “सुपर उत्साहित” हैं। उन्होंने कहा, “यह केवल एक या दो साल की योजना नहीं है। यह साझेदारी भारत और जापान दोनों को आने वाली पीढ़ियों तक लाभान्वित करेगी।”
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केंद्र-राज्य साझेदारी की अहमियत
जापानी कंपनियों के विशेष अनुरोध के बारे में पूछे जाने पर, Deloitte ने कहा कि एक मजबूत Centre-State Partnership और निजी क्षेत्र के साथ जापानी कंपनियों की सहभागिता इस परियोजना को “एक बार का ऐतिहासिक सेटअप” बनाने के लिए अनिवार्य है।
निष्कर्ष
भारत और जापान की यह साझेदारी Semiconductor सेक्टर को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी। विशेषज्ञता, तकनीक और सतत सरकारी समर्थन से यह परियोजना भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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