भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर फ्रंट-रनिंग घोटाले का पर्दाफाश किया। इस घोटाले में कुख्यात ट्रेडर केतन पारेख और सिंगापुर स्थित व्यापारी रोहित सालगांवकर की मिलीभगत सामने आई। घोटाले के तहत एक अमेरिकी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) के गोपनीय डेटा का दुरुपयोग कर करोड़ों का लाभ कमाया गया।
फ्रंट-रनिंग क्या है?
फ्रंट-रनिंग शेयर बाजार में की जाने वाली एक अवैध प्रक्रिया है। इसमें अंदरूनी व्यापारिक जानकारी का उपयोग कर निजी लाभ कमाने की कोशिश की जाती है।
- इसमें ब्रोकर, एसेट मैनेजर या ट्रaders बड़े निवेशकों के ऑर्डरों के बारे में पहले से जानकारी हासिल कर लेते हैं।
- ये लोग उन ऑर्डरों के कारण होने वाली कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने के लिए खुद के ट्रेड पहले कर लेते हैं।
यह प्रक्रिया न केवल नियमों का उल्लंघन करती है, बल्कि बाजार की पारदर्शिता और छोटे निवेशकों के हितों के लिए खतरा पैदा करती है।
केतन पारेख और रोहित सालगांवकर की भूमिका
सेबी की जांच में पाया गया कि केतन पारेख ने सिंगापुर स्थित व्यापारी रोहित सालगांवकर के साथ मिलकर फ्रंट-रनिंग की योजना तैयार की।
- सालगांवकर ने “बिग क्लाइंट” कहे जाने वाले एक अमेरिकी FPI के बड़े लेनदेन का डेटा पारेख को उपलब्ध कराया।
- इस डेटा का उपयोग करते हुए उन्होंने घोटाले को अंजाम दिया।
2001 के शेयर बाजार संकट में शामिल होने के कारण केतन पारेख पर 14 साल तक ट्रेडिंग करने पर प्रतिबंध था। बावजूद इसके, उन्होंने अवैध तरीकों से अपनी गतिविधियां जारी रखीं।
सेबी की जांच और कार्रवाई
सेबी ने 1 जनवरी 2021 से 20 जून 2023 के बीच हुई गतिविधियों का गहन अध्ययन किया। जांच के दौरान असामान्य ट्रेडिंग पैटर्न और डेटा का दुरुपयोग सामने आया।
मुख्य निष्कर्ष
- छह फ्रंटरनर्स की पहचान:
इन इकाइयों ने लीक हुई जानकारी के आधार पर ट्रेडिंग की। - बिचौलियों की भूमिका:
नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट लिमिटेड और मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज जैसे बिचौलियों के जरिए डेटा का दुरुपयोग किया गया। - डिजिटल साक्ष्य:
जून 2023 में तीन दिवसीय तलाशी अभियान के दौरान सेबी ने डिजिटल और दस्तावेजी साक्ष्य जुटाए।
अन्य बड़े फ्रंट-रनिंग मामले
यह घोटाला भारत में वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों की लंबी सूची में शामिल हो गया है।
ऐक्सिस म्यूचुअल फंड घोटाला (2023):
फंड मैनेजर वीरेश जोशी और अन्य 20 व्यक्तियों ने फ्रंट-रनिंग के जरिए ₹30.55 करोड़ का अवैध लाभ कमाया।
क्वांट म्यूचुअल फंड:
इस फंड ने भी इसी प्रकार के आरोपों का सामना किया।
समीक्षाधीन मामले:
- वॉकहार्ट
- एनएनएम सिक्योरिटीज लिमिटेड
- बैंक ऑफ इंडिया एक्सा म्यूचुअल फंड
सेबी की आधुनिक निगरानी प्रणाली
फ्रंट-रनिंग जैसे घोटालों से निपटने के लिए सेबी ने अपनी निगरानी प्रणाली को अत्याधुनिक बनाया है।
तकनीक का उपयोग:
- एल्गोरिदम और डेटा एनालिटिक्स के जरिए असामान्य ट्रेडिंग पैटर्न का विश्लेषण किया जाता है।
- डिजिटल कम्युनिकेशन जैसे ईमेल और मैसेजिंग ऐप्स की निगरानी की जाती है।
नए नियम और बदलाव:
सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए हैं:
- सभी ट्रेडिंग संवादों की रिकॉर्डिंग।
- फ्रंट-रनिंग को रोकने के लिए आंतरिक निगरानी प्रणाली।
केतन पारेख का प्रभाव और सबक
केतन पारेख का नाम भारतीय वित्तीय बाजार में सबसे विवादित नामों में से एक है। 2001 के घोटाले से लेकर अब तक, उनकी गतिविधियां निवेशकों के लिए एक बड़ा सबक हैं।
क्या सीखा जा सकता है?
- बाजार पारदर्शिता की जरूरत:
छोटे निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए बाजार की पारदर्शिता महत्वपूर्ण है। - सख्त कार्रवाई का महत्व:
सेबी की त्वरित और निर्णायक कार्रवाई बाजार में अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष
फ्रंट-रनिंग जैसे घोटाले वित्तीय बाजार की साख को गहरा नुकसान पहुंचाते हैं। केतन पारेख जैसे नामों को भले ही कानूनी शिकंजे में लाया गया हो, लेकिन यह बाजार नियामकों और निवेशकों के लिए सतर्कता बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण संकेत है।
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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।
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