एक रिसर्च: बंदर भी म्यूचुअल फंड मैनेजर्स को हरा सकता है (Any Monkey Can Beat The Market)

Any Monkey Can Beat The Market: जब म्यूचुअल फंड मैनेजर्स की बात आती है, तो हम उन्हें निवेश के जादूगर मानते हैं, जो हमारे पैसे को सही जगह पर निवेश कर, मुनाफे में बदल देते हैं। लेकिन क्या होगा अगर मैं कहूं कि एक साधारण बंदर भी इन म्यूचुअल फंड मैनेजर्स से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है? जी हां, यह कोई मजाक नहीं, बल्कि एक शोध का निष्कर्ष है।

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शोध का आधार

यह शोध पहली बार 1973 में प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री और लेखक बर्टन मालकील ने अपनी पुस्तक “ए रैंडम वॉक डाउन वॉल स्ट्रीट” में प्रस्तुत किया था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर एक बंदर भी आंख बंद करके अखबार के स्टॉक पृष्ठ पर डार्ट्स फेंके, तो वह पेशेवर निवेश प्रबंधकों से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।

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इस तर्क का आधार Random Walk Theory है, जो कहती है कि स्टॉक की कीमतें पूरी तरह से अप्रत्याशित और अनिश्चित होती हैं। इसका मतलब है कि भविष्य की कीमतों की भविष्यवाणी करना असंभव है, और इसीलिए, किसी भी इंसान के लिए मार्केट को लगातार बीट कर पाना बहुत ही मुश्किल है।

म्यूचुअल फंड मैनेजर्स और बंदर के प्रदर्शन में तुलना

शोध के नतीजों ने सबको हैरान कर दिया। जहां म्यूचुअल फंड मैनेजर्स ने एक स्थिर और सुरक्षित रणनीति अपनाई, वहीं बंदरों ने बिना किसी रणनीति के स्टॉक्स चुने और फिर भी उनमें से कई बंदरों के पोर्टफोलियो ने म्यूचुअल फंड मैनेजर्स से बेहतर रिटर्न दिया।

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यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो के कुछ प्रोफेसरों ने वर्ष 2000 में एक अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने 1000 बंदरों के पोर्टफोलियो का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में पाया गया कि इन बंदरों का औसत प्रदर्शन म्यूचुअल फंड मैनेजर्स के औसत प्रदर्शन से बेहतर था। यह इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि स्टॉक मार्केट में कभी-कभी रैंडम पिक और भाग्य का भी बड़ा योगदान हो सकता है।

समान परिणाम देने वाले अन्य शोध

1999 में, फॉर्च्यून मैगज़ीन ने एक शोध किया जिसमें यह दिखाया गया कि बेतरतीब ढंग से चुने गए स्टॉक्स भी कई बार पेशेवर मैनेजर्स द्वारा चुने गए स्टॉक्स की तुलना में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। यह इस बात का समर्थन करता है कि बाज़ार में अनुमान लगाना कठिन है, और कभी-कभी एक साधारण और सहज रणनीति भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।

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क्या इसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करना व्यर्थ है?

नहीं, इसका यह अर्थ नहीं है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करना व्यर्थ है। म्यूचुअल फंड मैनेजर्स के पास गहरी जानकारी, अनुभव, और रिसर्च होता है, जिससे वे दीर्घकालिक निवेश में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। लेकिन इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि कभी-कभी बाज़ार में अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है और भाग्य भी एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण सीख

इस शोध का सबसे बड़ा सबक यह है कि निवेशकों को अपने निवेश को लेकर अधिक यथार्थवादी होना चाहिए। केवल पेशेवरों पर पूरी तरह से निर्भर न रहें, बल्कि अपने स्वयं के अनुसंधान और समझदारी के आधार पर निवेश निर्णय लें। फाइनेंशियल टूल्स और तकनीकों का विकास, जैसे ETFs (Exchange Traded Funds) और इंडेक्स फंड्स, इस शोध की सच्चाई को और मजबूत करते हैं। इन टूल्स का उद्देश्य बाजार को फॉलो करना है, न कि उसे बीट करना, और इस प्रकार वे बेहतर रिटर्न देते हैं।

निष्कर्ष

बंदरों द्वारा म्यूचुअल फंड मैनेजर्स को बीट करना एक चौंकाने वाली और विचारणीय घटना है, लेकिन इससे निवेशकों को हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। द वॉल स्ट्रीट जर्नल और द न्यू यॉर्क टाइम्स जैसी प्रतिष्ठित पब्लिकेशन्स ने भी इस शोध पर लेख प्रकाशित किए हैं, जिससे यह साबित होता है कि इसने निवेश समुदाय में गहरी छाप छोड़ी है। इसका मतलब यह है कि निवेश में धैर्य, समझदारी, और रणनीति की जरूरत होती है, लेकिन साथ ही भाग्य भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, निवेश करते समय सही जानकारी और रणनीति का प्रयोग करें और अपने निवेश को सुरक्षित और लाभप्रद बनाने की कोशिश करें।

डिस्क्लेमर: किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले, निवेशकों को अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम सहनशीलता और निवेश की समयावधि पर विचार करना चाहिए। विशेषज्ञ से परामर्श लेना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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