Small IPO से मोटा मुनाफा कमाने का सपना हुआ मुश्किल! SEBI के नए नियमों से रिटेल निवेशकों को झटका 2024

छोटे और मझोले कारोबारों (SME) के लिए IPO में निवेश कर मोटा मुनाफा कमाने वाले रिटेल निवेशकों को अब बड़ा झटका लग सकता है। मार्केट रेगुलेटर SEBI SME IPO से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। आइए विस्तार से समझते हैं कि SEBI के इन प्रस्तावित बदलावों का असर निवेशकों और SME कंपनियों पर कैसे पड़ेगा।

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SEBI के प्रस्तावित बदलाव

Minimum Application Size में बढ़ोतरी

SEBI SME IPO में Minimum Application Size को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹3 लाख से ₹5 लाख करने का प्रस्ताव कर सकता है। इससे छोटे निवेशकों के लिए इन IPO में भागीदारी करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि इतनी बड़ी रकम लगाना हर रिटेल निवेशक के बस की बात नहीं है।

Track Record की अवधि बढ़ेगी

अभी SME IPO लाने वाली कंपनियों को 3 साल का वित्तीय रिकॉर्ड दिखाना होता है। इसे बढ़ाकर 5 साल करने की योजना है। इससे केवल वित्तीय रूप से मजबूत और अनुभवी कंपनियां ही IPO ला पाएंगी।

Market Making Agreement के नियमों में बदलाव

Market Making Agreement की अवधि को 3 साल से बढ़ाकर 5 साल करने का सुझाव दिया गया है। Market Makers SME शेयरों के लिए स्थिरता बनाए रखने के लिए दो तरफा कोटेशन देते हैं। इस कदम से SME शेयरों में ट्रेडिंग की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ेगी।

SEBI क्यों कर रहा है बदलाव?

SME IPO में रिटेल निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। पिछले कुछ महीनों में SME IPO को सैकड़ों गुना सब्सक्रिप्शन मिला है। हालांकि, ये IPO मुख्य बोर्ड के IPO के मुकाबले ज्यादा जोखिम भरे होते हैं। SEBI का मानना है कि छोटे निवेशक इन जोखिम भरे IPO में बिना सोचे-समझे पैसा लगा रहे हैं, जिससे उनके निवेश पर खतरा बढ़ रहा है।

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रिटेल निवेशकों पर असर

  • बढ़ा Minimum Application Size: ₹3 लाख या उससे ज्यादा की रकम लगाना हर रिटेल निवेशक के लिए संभव नहीं होगा। इससे SME IPO में रिटेल निवेशकों की भागीदारी कम हो सकती है।
  • जोखिम भरे निवेश: SME IPO में निवेश करने से पहले कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और ट्रैक रिकॉर्ड पर गौर करना जरूरी है। ज्यादा कमाने की चाह में बिना रिसर्च निवेश करने से भारी नुकसान हो सकता है।

SME IPO: निवेश से पहले ध्यान रखें ये बातें

  • कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड: SEBI के प्रस्तावित नियमों के बाद, केवल अनुभवी कंपनियां ही IPO ला पाएंगी।
  • उच्च जोखिम: SME IPO मुख्य बोर्ड के IPO से ज्यादा जोखिम भरे होते हैं।
  • Market Volatility: SME शेयरों की लिस्टिंग के बाद उनके प्राइस में बड़ा उतार-चढ़ाव हो सकता है।

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SEBI के प्रस्ताव कब लागू होंगे?

SEBI इस साल के अंत तक नए नियम लागू करने की योजना बना रहा है। फिलहाल, उसने इस मुद्दे पर NSE, BSE और मर्चेंट बैंकों से सुझाव मांगे हैं।

निष्कर्ष

SEBI के इन प्रस्तावित बदलावों से SME IPO में निवेश का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है। रिटेल निवेशकों को अब अपने निवेश के फैसले अधिक सावधानी से लेने होंगे। SME IPO में निवेश से पहले कंपनी की वित्तीय स्थिति और बाजार की स्थिति का गहराई से अध्ययन करना बेहद जरूरी है।

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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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