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बीमा कंपनियों की गुप्त आय पर GST, अब देना होगा Tax 2024

वस्तु एवं सेवाकर (GST) परिषद ने मोटर बीमा दावों में कबाड़ के निस्तारण से होने वाली आमदनी पर कर लगाए जाने को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है। परिषद के अनुसार, मोटर बीमा दावों के निपटान के बाद कबाड़ या मलबे की बिक्री या निपटान के मामले में जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को जीएसटी देनदारी का भुगतान करना अनिवार्य होगा।

कबाड़ के मूल्य से तात्पर्य उस क्षतिग्रस्त या नष्ट हो चुकी संपदा की कीमत से है, जिसे बीमा दावों के निपटान के बाद रिकवर करके बेचा जाता है। इस प्रक्रिया से बीमा कंपनियों को धन प्राप्त होता है, जो उनके लिए एक प्रकार की आय होती है।

उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने इस मामले में अनुरोध किया था कि कबाड़ के मूल्य और उस पर लगने वाले GST के संबंध में स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। इस अनुरोध के बाद, जीएसटी परिषद ने स्थिति को साफ कर दिया है।

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सम्बंधित पक्षों ने यह स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या मोटर वाहन बीमा के मामले में, मोटर वाहन को हुए नुकसान के दावे के मूल्यांकन में निर्धारित अवशेष या मलबे के मूल्य पर बीमा कंपनी द्वारा GST का भुगतान किया जाना चाहिए? कर अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि बीमा अनुबंध में मलबे के मूल्य में कटौती किए बिना बीमित वस्तु के घोषित मूल्य (आईडीवी) पर दावों के निपटान का प्रावधान है, तो वह संपत्ति बीमा कंपनी की होगी।

ऐसे मामलों में, बीमा कंपनी उस संपत्ति का निपटान करती है, इसलिए मलबे के निपटान या बिक्री पर GST की देनदारी बीमा कंपनियों की होगी। इसका मतलब यह है कि बीमा कंपनी को इस प्रकार की आमदनी पर GST का भुगतान करना होगा।

फिरहाल, ऐसे मामलों में जहां जनरल इंश्योरेंस कंपनियां मलबे के मूल्य को दावे की राशि में से घटा देती हैं, वह संपत्ति बीमा कराने वाले व्यक्ति की होती है। ऐसे में, बीमा कंपनियों पर इस कबाड़ या मलबे की बिक्री पर GST की देनदारी नहीं बनेगी।

जनरल इंश्योरेंस सर्विस के काम में लगी बीमा कंपनियां पॉलिसीधारकों द्वारा मोटर वाहनों की मरम्मत या क्षति की लागत का बीमा करती हैं। इस प्रकार, बीमा दावों के निपटान के बाद, जब क्षतिग्रस्त संपदा को बेचा जाता है, तो उस पर जीएसटी लागू होता है, जिससे बीमा कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि वे उचित रूप से कर का भुगतान कर रहे हैं।

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इस स्पष्टीकरण के बाद, बीमा कंपनियों और अन्य संबंधित हितधारकों के लिए स्थिति स्पष्ट हो गई है, जिससे वे अपनी कर देनदारी को सही तरीके से प्रबंधित कर सकेंगे।

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