IDFC First Bank Crash का कारण और भविष्य पर असर: क्या निवेशकों के लिए खतरे की घंटी है? 2024

IDFC First Bank Crash: IDFC First Bank के शेयर पिछले एक साल में काफ़ी गिर चुके हैं, और इस कारण से निवेशकों के मन में चिंता बढ़ रही है। कई निवेशकों ने सवाल किया है कि क्या बैंक की यह गिरावट स्थायी है, या यह एक Under-valued Investment Opportunity बन सकती है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि इस गिरावट के पीछे की प्रमुख वजहें क्या हैं और यह IDFC First Bank के भविष्य के लिए क्या संकेत देती हैं।

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IDFC First Bank के Operating Profit में वृद्धि और Net Profit में गिरावट

IDFC First Bank का Operating Profit तो Year-on-Year 30% बढ़ा है, लेकिन इसके बावजूद बैंक का Net Profit दूसरे क्वार्टर में Year-on-Year 73% गिर गया है। पिछले साल बैंक का Net Profit 751 करोड़ था, जो इस साल घटकर सिर्फ 201 करोड़ रह गया है। यह गिरावट एक बड़ा संकेत है कि बैंक की आंतरिक संरचना में कुछ समस्याएं हैं। यह मुद्दा निवेशकों के लिए जोखिम का संकेत हो सकता है।

Microfinance Loans में Non-Performing Assets (NPA) की बढ़ोतरी

बैंक के अलग-अलग Loan Segments का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि Microfinance Loans में Non-Performing Assets (NPA) सबसे अधिक हैं। मॉर्टगेज लोन (Mortgage Loans), वाहन लोन (Vehicle Loans), MSME Loans में NPA काफ़ी कम है, लेकिन Microfinance Segment में जोखिम काफ़ी ज्यादा है।

Microfinance Segment में 2017-18 के दौरान कम NPA थे, और उस समय इस Segment को एक सुरक्षित निवेश माना जाता था। लेकिन 2022 में RBI की पॉलिसी में बदलाव के बाद Interest Rates में वृद्धि हुई और Default Cases बढ़ गए, जिससे यह Segment अब जोखिमपूर्ण हो गया है।

RBI की नई पॉलिसी के कारण बढ़ते Interest Rates

2022 में RBI ने Microfinance Sector के लिए Borrowing Rate पर Cap हटाने का निर्णय लिया, जिससे Interest Rates बढ़ गए। इस पॉलिसी में बदलाव का उद्देश्य Competition के कारण Interest Rates को कम करना था, लेकिन वास्तव में इसका उल्टा प्रभाव पड़ा। कई Microfinance कंपनियों ने Interest Rates को 45-50% तक बढ़ा दिया, जिससे Loan Repayment की संभावना कम हो गई और Default Cases बढ़ने लगे।

Multi-loan Over-leverage की समस्या

Microfinance Loans पहले आधार कार्ड (Aadhaar Card) के आधार पर दिए जाते थे, लेकिन बाद में इन्हें वोटर आईडी (Voter ID) पर भी देने की अनुमति दी गई। इससे कई लोग एक ही समय में कई Loans लेने लगे, जिससे उनके पास Over-leverage की स्थिति बन गई। यह समस्या पूरे Microfinance Sector में फैल गई है, और IDFC First Bank भी इससे अछूता नहीं रहा।

Provisioning में बढ़ोतरी और कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य पर असर

IDFC First Bank ने हाल ही में अपने Provisions को 500 करोड़ से बढ़ाकर 1700 करोड़ कर दिया है। यह Provisions बैंक द्वारा Default Cases को ध्यान में रखते हुए रखे जाते हैं। Microfinance Business में 315 करोड़ का Provision और मुंबई टोल सेक्टर में 3 करोड़ का Provision रखा गया है। Provisions में इस वृद्धि से बैंक की वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ा है, जो निवेशकों के लिए एक बड़ा खतरा है।

Maharashtra Government की टोल माफी योजना का असर

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में छोटे वाहनों के लिए टोल माफी की घोषणा की है, जिससे मुंबई के पाँच मुख्य टोल प्लाजा प्रभावित होंगे। IDFC First Bank के लिए यह एक बड़ी समस्या बन गई है, क्योंकि बैंक ने इन टोल्स के Revenue से जुड़े Loans में काफी पैसा लगाया है। सरकार की इस घोषणा के बाद बैंक ने इन टोल्स पर दिए गए Loans को Provision में डाल दिया है, जिससे इनकी Repayment की संभावना न के बराबर हो गई है।

RBI के गवर्नर शक्तिकांता दास का बयान और संभावित पॉलिसी सुधार

RBI के गवर्नर शक्तिकांता दास ने हाल ही में CNBC TV18 के एक इंटरव्यू में माना कि Microfinance Sector में पॉलिसी के बदलाव से समस्याएं आई हैं। RBI अब इस पर काम कर रही है और संभावित Policy Revisions की उम्मीद है। हालाँकि, इन सुधारों में समय लगेगा, और तब तक बैंक और निवेशकों के लिए जोखिम बना रहेगा।

Cost of Funds का बढ़ना और Bank की बढ़ती समस्याएं

Bank के Cost of Funds में वृद्धि हुई है, जिससे उसकी Operational Cost भी बढ़ रही है। जैसे कि HDFC Bank जैसे बैंकों के Cost of Funds में भी इजाफा हुआ है, इससे IDFC First Bank पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव बढ़ गया है।

IDFC First Bank का Volatile Performance और निवेशकों के लिए चिंता

IDFC First Bank की Performance हमेशा से Volatile रही है। कभी यह Bank अच्छा प्रदर्शन करता है, तो कभी अचानक गिरावट देखने को मिलती है। यह अस्थिरता निवेशकों के लिए चिंता का विषय है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो Long-term Investment के लिए इसे चुन रहे हैं।

Bank का Price-to-Book Ratio और Valuation का सवाल

IDFC First Bank का Price-to-Book Ratio लगभग 1 के करीब पहुँच गया है। इससे Bank की Valuation के स्तर पर निवेशकों के मन में सवाल उठ रहे हैं। क्या Bank Undervalued है, या फिर इसमें और गिरावट आ सकती है? यह सवाल अब निवेशकों के लिए विचार का विषय है, और यह निर्णय लेना मुश्किल है कि यह Bank कब वापस Stable Performance दिखा पाएगा।

निष्कर्ष:

IDFC First Bank के Crash के पीछे कई मुख्य कारण हैं, जैसे कि Microfinance Sector में बढ़ते NPAs, Maharashtra की टोल माफी योजना का असर, और बढ़ती Cost of Funds। निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इन सभी कारकों का विश्लेषण करें और सोच-समझ कर निवेश का निर्णय लें। बैंक का भविष्य फिलहाल अस्थिर नजर आ रहा है, और इसके पुनः स्थिर होने में कुछ समय लग सकता है।

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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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