Lab Grown Gold: Gold, जिसे हमेशा से धन और शक्ति का प्रतीक माना गया है, अब नए तरीके से बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। वैज्ञानिक तकनीकें तेजी से विकसित हो रही हैं ताकि Gold को लैब में बनाया जा सके। यह विचार ठीक वैसा ही है जैसे पुराने समय में अलकेमिस्ट्स लीड को Gold में बदलने की कोशिश करते थे, लेकिन इस बार विज्ञान और तकनीक इसे सच में बदलने की संभावना दिखा रही हैं। परंतु, Gold लैब में बने तो क्या उसकी कीमत और सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्य वैसे ही रहेंगे?
असली सोने जैसा होगा Lab Grown Gold? मौजूदा गोल्ड रिज़र्व्स पर एक नज़र
आज के समय में Gold का हर टुकड़ा अनमोल है क्योंकि इसका स्रोत सीमित है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, अब तक लगभग 2,12,582 टन Gold का माइनिंग हो चुका है। भविष्य में अनुमान है कि आने वाले 20 वर्षों में 2,44,040 टन और Gold निकाला जा सकता है, लेकिन यह मात्रा काफी सीमित है। इसी कारण Gold की कीमत 2023 में लगभग $2,800 प्रति औंस तक पहुंच गई।
लेकिन, यदि लैब में Gold बनना शुरू हो जाए, तो इसकी प्राकृतिक सीमितता पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा, जिससे Gold की कीमत पर असर पड़ सकता है। सस्ते और व्यापक रूप से उपलब्ध Gold का विचार निवेशकों, ज्वैलर्स, और धार्मिक व सांस्कृतिक उपयोगकर्ताओं की धारणा पर भी प्रभाव डाल सकता है।
समुद्र और स्पेस में Gold की मौजूदगी के आंकड़े
Gold को पृथ्वी की सतह के नीचे के अलावा समुद्र की गहराई में भी पाया जा सकता है, लेकिन यह वहां इतनी कम मात्रा में होता है कि इसका प्रोसेसिंग अव्यावहारिक है। इसके अलावा, पृथ्वी के नजदीकी एस्ट्रॉयड्स पर भी सोना और अन्य कीमती धातुएं हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, एस्ट्रॉयड ‘16 Psyche’, जो मंगल और बृहस्पति के बीच है, उसमें सोने, प्लेटिनम, और अन्य धातुओं की अपार मात्रा है। नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘16 Psyche’ पर इतनी धातुएं हैं कि इनकी कुल वैल्यू लगभग $10,000 क्वाड्रिलियन (10,000,000,000,000,000) मानी जाती है।
हालांकि, इन धातुओं को पृथ्वी पर लाना फिलहाल महंगा और अव्यावहारिक है। स्पेस एक्सप्लोरेशन की लागत अत्यधिक होने के कारण यह विचार अभी शुरुआती चरण में ही है।
Gold बनाने की विज्ञान: प्रक्रिया और चुनौतियाँ
गोल्ड एक केमिकल एलिमेंट है, जिसमें प्रत्येक एटॉमिक न्यूक्लियस में 79 प्रोटॉन्स होते हैं। थ्योरिटिकली, इसे मर्करी या प्लेटिनम से गोल्ड में बदला जा सकता है। मर्करी के एक प्रोटॉन को हटाकर या प्लेटिनम में एक प्रोटॉन जोड़कर इसे गोल्ड बनाने का प्रयास किया जा सकता है।
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हालांकि, यह प्रक्रिया महंगी, एनर्जी-कंज़्यूमिंग और अत्यंत धीमी है। उदाहरण के लिए, एक ग्राम गोल्ड को इस तरह से बनाने में कई लाख डॉलर खर्च हो सकते हैं। दूसरी तकनीकें जैसे केमिकल रिएक्शन्स, बैक्टीरिया स्ट्रेन, और लेजर लाइट्स का भी प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन ये अब तक आर्थिक रूप से स्केलेबल नहीं हो सकी हैं। इसी कारण, लैब में बने सोने की शुद्धता और उसकी मात्रा हमेशा असली माइन किए गए गोल्ड से कम रहेगी।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व: क्या होगा Lab Grown Gold का भविष्य?
हजारों वर्षों से गोल्ड को सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। इसकी चमक और इसकी स्थायित्व इसे खास बनाती है। प्राचीन काल में राजाओं के मुकुट, धार्मिक स्थल और प्रमुख धार्मिक प्रतीक गोल्ड से बने होते थे। यहां तक कि आधुनिक निवेश में भी गोल्ड का बड़ा योगदान है—डिजिटल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड्स और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स जैसे साधन सोने के प्रति लोगों के विश्वास का प्रमाण हैं।
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इसके अतिरिक्त, गोल्ड का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, डेंटिस्ट्री, डिफेंस, और ऑटोमोबाइल्स में व्यापक रूप से होता है, क्योंकि यह एक अच्छा कंडक्टर है और आसानी से खराब नहीं होता। लैब-ग्रोन गोल्ड की सामाजिक स्वीकार्यता के बारे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों में स्वीकृति मिलेगी?
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि लैब-ग्रोन गोल्ड असली गोल्ड का एक विकल्प बन सकता है, लेकिन उसका मूल्य असली गोल्ड से कम रह सकता है, क्योंकि लोगों की धारणा और परंपरागत मूल्य इसके साथ जुड़े हुए हैं।
Lab Grown Gold और वित्तीय भविष्य का अनुमान
यदि भविष्य में Lab Grown Gold सफलतापूर्वक बनता है, तो यह गोल्ड की कुल उपलब्धता को बढ़ा सकता है और इसकी कीमत पर भी असर डाल सकता है। सस्ते लैब-ग्रोन गोल्ड के आने से गोल्ड मार्केट में एक बड़ी क्रांति आ सकती है, जिससे गोल्ड को सिर्फ निवेश के तौर पर नहीं, बल्कि औद्योगिक उपयोग के लिए भी व्यापक रूप से उपलब्ध कराया जा सकेगा।
हालांकि, गोल्ड मार्केट पर इस बदलाव का वास्तविक असर लोगों की सोच और मार्केट के रिस्पॉन्स पर निर्भर करेगा।
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