Largecap Stocks: भारत के बाजारों से विदेशी निवेशक बड़ी मात्रा में बाहर निकल रहे हैं। इसका मुख्य कारण है तीन प्रमुख फैक्टर: पहला, चीन के नए मौद्रिक और वित्तीय प्रोत्साहन उपायों से उनका मार्केट अधिक आकर्षक बन गया है। दूसरा, भारतीय स्टॉक्स की ऊंची वैल्यूएशन की वजह से मुनाफा कमाने का रुझान बढ़ा है। तीसरा, मिडिल ईस्ट में बढ़ते हुए भू-राजनीतिक तनाव से निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्पों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इस स्थिति में केवल अक्टूबर 2024 में ही भारतीय बाजारों से ₹70,398 करोड़ ($8.38 बिलियन) का बड़ा आउटफ्लो हुआ है।
आइए जानते हैं कि वे कौन से प्रमुख largecap stocks हैं जिनमें FIIs ने अपनी हिस्सेदारी घटाई है:
Kotak Mahindra Bank Ltd: फाइनेंशियल सेक्टर में मज़बूत खिलाड़ी
Kotak Mahindra Bank भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में एक प्रमुख नाम है। बैंक रिटेल बैंकिंग, ट्रेजरी ऑपरेशंस, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग जैसे सेवाएं प्रदान करता है। साथ ही, इसकी व्यापक नेटवर्क के जरिए स्टॉक ब्रोकिंग, वाहन फाइनेंस, लाइफ और जनरल इंश्योरेंस भी उपलब्ध हैं।
- वित्तीय प्रदर्शन: 2024 में बैंक का राजस्व 33% बढ़कर ₹56,237 करोड़ पर पहुंच गया। वहीं, नेट प्रॉफिट में 21% की वृद्धि हुई और यह ₹18,213 करोड़ हो गया, जबकि EPS ₹91.62 से घटकर ₹75.13 पर आ गया।
- FII निवेश में कमी: Q4 2023 में FIIs की हिस्सेदारी में 1.23% की मामूली कमी देखी गई। लेकिन, Q1 2024 में 2.15% की और गिरावट आई, जिससे कुल मिलाकर 2024 में 6.35% की कमी आई।
Kotak Mahindra Bank में FIIs की घटती हिस्सेदारी वित्तीय सेवा क्षेत्र में घटती निवेश रुचि का संकेत है।
LTIMindtree Ltd: IT और डिजिटल सॉल्यूशंस में अग्रणी
LTIMindtree भारत में IT सेवाओं और डिजिटल समाधान प्रदान करने वाले प्रमुख खिलाड़ियों में से एक है। कंपनी एप्लिकेशन डेवलपमेंट, मेंटेनेंस आउटसोर्सिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट जैसी सेवाएं देती है।
- वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी ने 2024 में ₹35,517 करोड़ का राजस्व दर्ज किया, जिसमें 7% की सालाना वृद्धि हुई। नेट प्रॉफिट भी 3.9% बढ़कर ₹4,585 करोड़ हो गया।
- FII निवेश में कमी: Q3 2023 में मामूली गिरावट के बाद Q1 2024 में FII होल्डिंग्स में 0.79% की कमी आई, जिससे 2024 में कुल 1.28% की कमी दर्ज की गई।
LTIMindtree के FII निवेश में गिरावट से यह संकेत मिलता है कि IT सेक्टर में विदेशी निवेशकों का रुझान घट रहा है।
Reliance Industries Ltd: भारत की सबसे बड़ी कांग्लोमरेट कंपनी
Mukesh Ambani के नेतृत्व में Reliance Industries भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। ऊर्जा, रिटेल और टेलीकॉम जैसे विविध क्षेत्रों में सक्रिय, इस कंपनी ने अपने मजबूत फाइनेंशियल परफॉर्मेंस के साथ अपनी पकड़ बनाए रखी है।
- वित्तीय प्रदर्शन: 2024 में कंपनी का राजस्व 2.58% बढ़कर ₹8,99,041 करोड़ हो गया। नेट प्रॉफिट 6.65% बढ़ा और EPS ₹98.5 से बढ़कर ₹102.9 हो गया।
- FII निवेश में कमी: Q4 2023 में 0.5% की बढ़त के बाद Q1 2024 में 0.07% की गिरावट आई, जिससे 2024 में कुल 0.84% की कमी हुई।
Reliance Industries में FIIs की हिस्सेदारी में बदलाव सीमित है, लेकिन यह कंपनी की वैल्यूएशन और विविध बिजनेस पोर्टफोलियो को दर्शाता है।
ICICI Prudential Life Insurance Company Ltd: इंश्योरेंस सेक्टर में मजबूत उपस्थिति
ICICI Prudential Life Insurance का ICICI Bank और Prudential Plc के साथ मजबूत पार्टनरशिप है। कंपनी का प्रोडक्ट पोर्टफोलियो लाइफ इंश्योरेंस, पेंशंस और हेल्थ इंश्योरेंस तक विस्तृत है, जिससे इसकी व्यापक बाजार पहुंच है।
- वित्तीय प्रदर्शन: 2024 में कंपनी का राजस्व 81.5% बढ़ा और नेट प्रॉफिट में 4.67% की वृद्धि हुई।
- FII निवेश में कमी: Q4 2023 में 0.78% की कमी के बाद Q1 2024 में 1.38% की और गिरावट आई, जिससे 2024 में कुल 1.75% की कमी दर्ज की गई।
ICICI Prudential Life में FIIs की घटती हिस्सेदारी इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेशकों की घटती रुचि को दर्शाती है।
HDFC Life Insurance Company Ltd: बीमा क्षेत्र में अग्रणी नाम
HDFC और Standard Life Aberdeen की संयुक्त उपस्थिति वाली HDFC Life Insurance कंपनी व्यक्तिगत और ग्रुप इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है। कंपनी का 26% का नया बिजनेस मार्जिन इसे प्रतिस्पर्धियों से अलग बनाता है।
- वित्तीय प्रदर्शन: 2024 में कंपनी का राजस्व 44.54% बढ़कर ₹1,01,482 करोड़ हो गया। नेट प्रॉफिट में 15% की बढ़त हुई और EPS ₹6.37 से बढ़कर ₹7.32 हो गया।
- FII निवेश में कमी: Q4 2023 में 0.75% की वृद्धि के बाद Q1 2024 में 1.25% की गिरावट आई, जिससे 2024 में कुल 5.65% की कमी दर्ज की गई।
HDFC Life में FIIs की हिस्सेदारी में गिरावट का यह ट्रेंड निवेशकों के लिए एक चेतावनी संकेत है, जिससे बाजार में स्थिरता की स्थिति को समझा जा सकता है।
निष्कर्ष:
इन प्रमुख कंपनियों में FIIs की घटती हिस्सेदारी से यह संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से बाहर निकल रहे हैं। चीन की नई आर्थिक नीतियां, भारतीय स्टॉक्स की ऊंची वैल्यूएशन और मिडिल ईस्ट के जियोपॉलिटिकल तनाव ने विदेशी निवेशकों को ज्यादा सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर मोड़ा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर इन बैंकों और कंपनियों में निवेश का पैटर्न कैसा रहेगा और भारतीय बाजार में स्थिरता कैसे बनी रहेगी।
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डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।
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