SEBI Reports: IPO (Initial Public Offering) में निवेशकों का Flipping Behavior हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है। SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जो IPO के बाद शेयरों की त्वरित बिक्री पर प्रकाश डालती है। इस लेख में हम आपको इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं और IPO निवेशकों के व्यवहार पर गहराई से जानकारी देंगे।
IPO शेयरों की Fast Selling: निवेशक क्यों बेच रहे हैं शेयर लिस्टिंग के एक हफ्ते में?
SEBI रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 54% IPO शेयर, जो निवेशकों को अलॉट किए गए थे (एंकर निवेशकों को छोड़कर), लिस्टिंग के एक सप्ताह के भीतर बेच दिए गए। इसमें निम्नलिखित वर्गों के निवेशकों का योगदान देखा गया:
- Individual Investors ने लिस्टिंग के एक सप्ताह में 50.2% शेयर बेच दिए।
- Non-Institutional Investors (NII/HNI) ने 63.3% शेयर बेचे।
- Retail Investors ने 42.7% शेयर लिस्टिंग के पहले सप्ताह में बेच डाले।
Mutual Funds vs Banks: किसकी बिक्री रणनीति है बेहतर?
SEBI की रिपोर्ट यह भी बताती है कि Mutual Funds IPO में अलॉट किए गए शेयरों को होल्ड करना पसंद करते हैं, जबकि Banks तेजी से उन्हें बेचने की रणनीति अपनाते हैं। लिस्टिंग के एक हफ्ते में:
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- Mutual Funds ने केवल 3.3% शेयर बेचे।
- Banks ने 79.8% IPO शेयर बेचे।
यह अंतर दर्शाता है कि Mutual Funds दीर्घकालिक लाभ की ओर देखते हैं, जबकि Banks तेजी से मुनाफा लेने पर ध्यान देते हैं।
Disposition Effect: Profit होने पर Investors बेचते हैं जल्दी
निवेशकों का “Disposition Effect” दर्शाता है कि जब उन्हें IPO से लाभ होता है, तो वे तेजी से शेयर बेचने के लिए प्रवृत्त होते हैं। उदाहरण के लिए:
- जब IPO पर 20% से अधिक का रिटर्न मिला, तो Investors ने 67.6% शेयर बेच दिए।
- वहीं जब रिटर्न नेगेटिव था, तो केवल 23.3% शेयर बेचे गए।
Geographical Distribution: कौन से राज्य हैं सबसे आगे?
रिपोर्ट में Geographical Data भी सामने आया, जिसमें यह पाया गया कि:
- 39.3% Retail Investors गुजरात से थे।
- इसके बाद महाराष्ट्र (13.5%) और राजस्थान (10.5%) का स्थान रहा।
Post COVID IPO Surge: Demat Accounts में आई बाढ़
SEBI की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2021 से दिसंबर 2023 के बीच आधे से ज्यादा Demat Accounts COVID-19 के बाद खुले। इससे साफ पता चलता है कि महामारी के बाद IPO बाजार में नए निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
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Policy Changes in NII: बड़े निवेशकों पर पड़ा असर
अप्रैल 2022 में SEBI और RBI ने NII (Non-Institutional Investors) के लिए कई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव किए। NII कैटेगरी में आवंटन प्रक्रिया में बदलाव से लेकर फंडिंग लिमिट तक कई पहलुओं को प्रभावित किया गया। इन बदलावों से क्या परिणाम मिले?
- NII कैटेगरी में Oversubscription 38 गुना से घटकर 17 गुना हो गया।
- ₹1 करोड़ से अधिक की बोली लगाने वाले Big Ticket NII Investors की संख्या प्रति IPO 626 से घटकर 20 हो गई।
- इन निवेशकों द्वारा लिस्टिंग के एक सप्ताह के भीतर बेचे गए शेयरों का प्रतिशत 70% से घटकर 25% हो गया।
निष्कर्ष: SEBI की रिपोर्ट से क्या सीख सकते हैं निवेशक?
SEBI की रिपोर्ट IPO निवेशकों के मनोविज्ञान और उनकी रणनीतियों को गहराई से समझने का अवसर प्रदान करती है। Flipping Strategy और Disposition Effect के आधार पर, निवेशक लिस्टिंग गेन के समय तेजी से शेयर बेचते हैं, जबकि म्यूचुअल फंड्स जैसे संस्थागत निवेशक लंबे समय के लिए होल्ड करते हैं। साथ ही, नीतिगत बदलावों ने बड़े निवेशकों के निवेश व्यवहार को भी प्रभावित किया है।
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