Google Search और ChatGPT: ऊर्जा खपत का अध्ययन और भविष्य के उपाय 2024

आज के डिजिटल युग में, Google Search और ChatGPT जैसी सेवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सेवाओं के संचालन के लिए कितनी बिजली की आवश्यकता होती है? एक अध्ययन के अनुसार, Google Search की तुलना में ChatGPT को किसी सवाल का जवाब देने के लिए लगभग 10 गुना ज्यादा बिजली की जरूरत होती है। आइए, इस विषय पर गहराई से विचार करें और समझें कि डेटा सेंटरों के ऊर्जा खपत और उनके स्थिरता के उपाय कैसे विकसित हो रहे हैं।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

ChatGPT बनाम Google Search: ऊर्जा खपत में अंतर

Goldman Sachs के अध्ययन के अनुसार, AI आधारित मॉडल जैसे ChatGPT, Google Search की तुलना में अधिक बिजली की खपत करते हैं। इसका कारण यह है कि ChatGPT जैसे AI मॉडल्स को प्रश्नों के उत्तर देने के लिए अत्यधिक गणनाओं की आवश्यकता होती है, जबकि Google Search अपने इंफ्रास्ट्रक्चर और एल्गोरिदम के माध्यम से अधिक दक्षता से संचालन करता है।

Ola electric share price today: जाने कैसी रही लिस्टिंग

डेटा सेंटरों की बढ़ती बिजली की मांग

AI वर्कलोड की बढ़ती जरूरतें पूरी करने के लिए डेटा सेंटरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे बिजली की खपत में भी तेजी आएगी। उद्योग के जानकारों के अनुसार, बिजली के पारंपरिक स्रोत हर साल महंगे हो रहे हैं, जिससे कंपनियों को अक्षय ऊर्जा स्रोतों में निवेश करने की आवश्यकता है।

हीरानंदानी समूह के डेटा सेंटर योट्टा का लक्ष्य अगले तीन से पांच वर्षों में अपनी 80% से अधिक बिजली को अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करना है। इसी तरह, हैदराबाद के कंट्रोलएस ने 2030 तक 100% नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर होने का लक्ष्य रखा है।

ग्रीन एनर्जी की दिशा में कदम

योट्टा में उपाध्यक्ष (कोलोकेशन और डीसी बिल्ड) रोहन शेठ के अनुसार, पिछले एक साल में बिजली की मांग में 4.4% की वृद्धि हुई है, जबकि उत्पादन क्षमता में केवल 0.4% की वृद्धि हुई है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डेटा सेंटरों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और स्थायी मॉडल्स पर ध्यान देना होगा।

योट्टा के डेटा सेंटरों को फिलहाल 30% बिजली ग्रीन एनर्जी स्रोतों से मिलती है, जिसे वे अगले कुछ वर्षों में 60% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं। वर्तमान में, यह कंपनी अपनी नवीकरणीय ऊर्जा हाइड्रो और सोलर संयंत्र से प्राप्त करती है।

IREDA Share News: जाने ब्रोकर हाउसेस ने क्या Target Price

सरकारी बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा

वर्तमान में डेटा सेंटरों के लिए मुख्य बिजली स्रोत सरकारी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) से मिलने वाली बिजली है, जो मुख्यतः कोयला और ताप बिजली होती है। हालांकि, डेटा सेंटर अब अपनी खुद की नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने में निवेश कर रहे हैं, जिसे बाद में सरकारी पावरग्रिड को भेजा जा सकता है। इससे कंपनियां सुनिश्चित करती हैं कि उन्हें अपने संचालन के लिए निर्बाध बिजली मिलती रहे।

भारत में डेटा सेंटरों की ऊर्जा क्षमता

भारत में डेटा सेंटरों की कुल बिजली क्षमता 778 मेगावॉट है, जो तेजी से बढ़ रही है। हर नया डेटा सेंटर स्थापित होने के साथ, कंपनियां अपनी ग्रीन एनर्जी में भी निवेश कर रही हैं।

Bandhan Nifty Bank Index Fund NFO

निष्कर्ष

AI वर्कलोड की बढ़ती मांग और ऊर्जा खपत में वृद्धि के चलते, डेटा सेंटरों को ग्रीन एनर्जी स्रोतों की ओर शिफ्ट करना समय की जरूरत बन गई है। ChatGPT और Google Search के बीच ऊर्जा खपत के इस अंतर को समझने और डेटा सेंटरों के लिए स्थिरता के उपायों को अपनाने से न केवल ऑपरेशनल कॉस्ट कम होगी, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

नोट: यह आर्टिकल बिज़नेस स्टैंडर्ड में छपी खबर पर आधारित है।

Best Railway Stocks in India: जो निवेशकों के लिए पैसा बना सकते हैं 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment