क्या खत्म हो रहा है Zero brokerage का दौर? निवेशक जेब ढीली करने के लिए हो जाएं तैयार 2024

हाल के नियामक बदलाव और ब्रोकर्स के प्रॉफिट पर बढ़ते दबाव के चलते, स्टॉक मार्केट में Zero Brokerage का युग खत्म होने की कगार पर है। रिपोर्ट्स के अनुसार, शीर्ष Discount Brokers अगले कुछ हफ्तों में Intraday trading और Derivative trading के लिए flat fees में 10% से 30% तक की बढ़ोतरी कर सकते हैं। कुछ छोटे स्टॉक ब्रोकर्स ने पहले ही अपने ब्रोकर फीस में इजाफा कर दिया है, जिससे नए निवेशकों के लिए ट्रेडिंग कॉस्ट बढ़ गई हैं।

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Zero brokerage का युग: क्या वाकई खत्म हो रहा है?

Zero brokerage मॉडल ने हाल के वर्षों में लाखों नए निवेशकों को बाजार की ओर आकर्षित किया है। इस मॉडल ने सक्रिय ट्रेडिंग को भी बढ़ावा दिया, जिससे स्टॉक ब्रोकिंग सेक्टर में भारी उछाल देखने को मिला। लेकिन नए नियामक बदलाव के कारण, ब्रोकर्स को अपने profits को बनाए रखने के लिए fees बढ़ाने पर विचार करना पड़ रहा है।

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नए नियामकीय बदलाव और उनके प्रभाव

Brokers के मुनाफे पर असर डालने वाले प्रमुख regulatory changes में 1 अक्टूबर से लागू होने वाला स्लैब आधारित शुल्क ढांचे का अंत, demat accounts के लिए बुनियादी सेवाओं की होल्डिंग सीमा में वृद्धि, और secondary market में UPI-based block mechanism का प्रस्ताव शामिल है। इन बदलावों से ब्रोकर्स को पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ अपने मौजूदा शुल्क ढांचे में सुधार करना आवश्यक हो जाएगा।

फ्लैट फीस में संभावित वृद्धि

Groww, Zerodha, और Upstox जैसे बड़े discount brokers, जो भारतीय बाजार का लगभग 50% हिस्सा नियंत्रित करते हैं, समान 20 रुपये प्रति ट्रेड या transaction value के 0.03% से 0.05% के बीच fees वसूलते हैं। हालांकि, उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश प्रमुख स्टॉक ब्रोकर्स अभी स्थिति का आकलन कर रहे हैं और देख रहे हैं कि कौन पहले fees increase की पहल करता है। इस बढ़ोतरी से न केवल ब्रोकर्स का मुनाफा सुरक्षित होगा, बल्कि यह उद्योग में एक बड़े बदलाव का संकेत भी हो सकता है।

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डीमैट खातों की संख्या और डिजिटलीकरण का प्रभाव

2021 में 4.97 करोड़ डीमैट अकाउंट से बढ़कर अब यह संख्या 16.7 करोड़ तक पहुंच गई है। Digitalization और महामारी के बाद बचत को निवेश में लगाने की प्रवृत्ति ने डीमैट अकाउंट की संख्या में भारी वृद्धि की है। हालांकि, ऊंचे brokerage fees का trading patterns पर क्या असर पड़ता है, यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि zero-fee structure ग्राहकों को अधिक trading के लिए प्रेरित करता है।

ब्रोकरेज शुल्क वृद्धि की संभावनाएं

Fyers के सह-संस्थापक और सीईओ Tejas Khoday का मानना है कि brokerage fees में बढ़ोतरी आवश्यक है और यह अक्टूबर 2024 या उसके बाद हो सकती है, जब 100% exchange transaction fees प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने कहा, “शुल्क वृद्धि की दिशा में पहला कदम उन ब्रोकर्स द्वारा उठाया जाना चाहिए जो बाजार हिस्सेदारी के मामले में शीर्ष 5 में शामिल हैं।”

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ब्रोकरों के सामने चुनौतियां और रणनीतियां

Torus Financial Markets के सीईओ Prakash Gagdani के अनुसार, सभी regulatory changes का ब्रोकिंग इनकम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। Turnover fees के मानकीकरण, referral model के अंत, और डीमैट अकाउंट की बुनियादी सेवाओं के नए मानदंडों से लागत में वृद्धि हो रही है। बाजार में मौजूदा तेजी के कारण वॉल्यूम तो बढ़ रहा है, लेकिन बाजार में गिरावट के दौरान लागत का प्रभाव अधिक महसूस होगा।

निष्क्रिय आय से मुनाफा बनाए रखने की रणनीति

Regulatory sources के अनुसार, घरेलू ब्रोकर्स के पास दैनिक आधार पर ग्राहकों के 2 लाख करोड़ रुपये होते हैं, जिससे उन्हें लगभग 12,000 करोड़ रुपये की सालाना आय होती है। यह passive income ही ब्रोकर्स को brokerage fees कम रखने के बावजूद मुनाफे में बनाए रखती है।

निष्कर्ष

Zero brokerage का दौर जल्द ही खत्म हो सकता है, क्योंकि प्रमुख brokers नियामकीय दबाव और मुनाफे को सुरक्षित रखने के लिए flat fees बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, इस बदलाव का बाजार और निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। निवेशकों के लिए यह आवश्यक होगा कि वे इस बदलते परिदृश्य में सतर्क रहें और अपने निवेश निर्णयों को समझदारी से लें।

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