वित्तीय वर्ष 2024 के बजट के बाद शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड्स से होने वाली आय पर कई नए टैक्स नियम लागू किए गए हैं। इनमें Capital Gains Tax और Securities Transaction Tax (STT) की दरों में बदलाव सबसे प्रमुख हैं। इन बदलावों से निवेशकों की टैक्स देनदारी पर सीधा असर पड़ेगा। आइए, जानते हैं कि इन नए नियमों का आपके स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स और ETFs पर क्या प्रभाव पड़ेगा और आप कैसे टैक्स बचा सकते हैं।
Capital Gains Tax क्या है?
जब आप किसी एसेट जैसे स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स या गोल्ड को बेचकर लाभ कमाते हैं, तो उस लाभ को Capital Gains कहा जाता है। इसे दो भागों में बांटा गया है:
- Short-Term Capital Gains (STCG): जब कोई एसेट 12 महीने से पहले बेचा जाता है।
- Long-Term Capital Gains (LTCG): जब कोई एसेट 12 महीने से अधिक समय बाद बेचा जाता है।
Short-Term Capital Gains Tax में बदलाव
2024 के बजट के बाद, Short-Term Capital Gains पर टैक्स की दर 15% से बढ़कर 20% कर दी गई है। यह नियम उन स्टॉक्स और Equity Mutual Funds पर लागू होता है, जो 12 महीने से कम समय में बेचे जाते हैं।
Long-Term Capital Gains Tax में बदलाव
अब Long-Term Capital Gains Tax की दर 10% से बढ़कर 12.5% हो गई है। हालांकि, पहले ₹1 लाख तक के लाभ पर कोई टैक्स नहीं लगता था, लेकिन अब यह छूट सीमा ₹1.25 लाख तक बढ़ा दी गई है। इसका मतलब है कि ₹1.25 लाख से ऊपर के लाभ पर 12.5% टैक्स लगेगा।
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Securities Transaction Tax (STT) में बदलाव
STT हर बार जब आप कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं, तब लगता है। नए नियमों के अनुसार:
- Equity Delivery पर 0.1% STT खरीद और बिक्री दोनों पर लागू होता है।
- Intraday Trading में सिर्फ बिक्री पर 0.025% STT लगता है।
- Mutual Funds और ETFs पर बिक्री के समय 0.001% STT लगता है।
- Futures की बिक्री पर STT 0.02% और Options की बिक्री पर 0.1% तक बढ़ा दिया गया है।
Debt Mutual Funds पर Tax
Debt Mutual Funds की टैक्स दरें Equity Funds से अलग होती हैं। इनके लाभ को आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और आपके Income Tax Slab के अनुसार टैक्स लगाया जाता है। यहां कोई छूट सीमा नहीं होती।
Capital Loss का Set-Off
अगर किसी वर्ष में आपको Capital Loss होता है, तो आप इसे Capital Gains से सेट-ऑफ कर सकते हैं। लॉन्ग-टर्म लॉस को शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों गेंस से सेट-ऑफ किया जा सकता है, जबकि शॉर्ट-टर्म लॉस सिर्फ शॉर्ट-टर्म गेंस से ही सेट-ऑफ होगा।
Intraday Trading और Futures & Options पर Tax
- Intraday Trading से होने वाली आय को Speculative Business Income माना जाता है और इसे आपकी कुल आय में जोड़कर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।
- Futures और Options की आय को Non-Speculative Business Income माना जाता है और उस पर भी आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।
Dividend Income पर Tax
Dividend Income को आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और उस पर आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है। इसके अलावा, कंपनी 10% TDS काटती है जब वह डिविडेंड जारी करती है।
Capital Gains Tax बचाने के तरीके
आप सही तरीके से प्लानिंग करके Capital Gains Tax को बचा सकते हैं। अपनी आय को सही तरीके से ITR में रिपोर्ट करें और Capital Loss को सही तरीके से डिक्लेयर करें ताकि भविष्य में टैक्स बचत कर सकें।
निष्कर्ष
2024 के बजट के बाद Capital Gains Tax और Securities Transaction Tax (STT) में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। अगर आप शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं, तो इन बदलावों को समझना और उनके अनुसार टैक्स प्लानिंग करना बेहद जरूरी है।
निवेश से संबंधित टैक्स नियमों की जानकारी रखना और सही रणनीति बनाना आपको बेहतर वित्तीय परिणाम देगा।
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