भारत का अगला बड़ा धन निर्माता होगा Infrastructure, न की IT: Jefferies की चौंकाने वाली भविष्यवाणी

भारत को लंबे समय से सॉफ्टवेयर सर्विसेज और आउटसोर्सिंग का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन अब समय बदल रहा है! ग्लोबल इनवेस्टमेंट बैंक Jefferies का मानना है कि अगले दशक में भारत की वेल्थ क्रिएशन का इंजन अब सर्विसेज नहीं, बल्कि infrastructure और हार्ड एसेट्स होंगे। एयरपोर्ट्स, पोर्ट्स, हॉस्पिटल्स, होम्स, होटल्स, रियल एस्टेट और रिन्यूएबल्स में भारी निवेश भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। अगर आप निवेशक हैं या भारत की आर्थिक प्रगति पर नजर रखते हैं, तो यह खबर आपके लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है! आइए जानते हैं पूरी डिटेल्स।

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Infrastructure: भारत का अगला ग्रोथ इंजन

Jefferies के कंट्री हेड ऑफ इंडिया, Aashish Agarwal ने Mint के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, “भारत में हमेशा से इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी रही है, जिसे हर निवेशक ने उजागर किया। लेकिन अब हम इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड के कगार पर हैं। पिछले 20 सालों में सर्विसेज ने जो भूमिका निभाई, अगले 10-15 सालों में हार्ड एसेट्स वही भूमिका निभाएंगे।”

Jefferies की थिसिस तीन मुख्य पिलर्स पर टिकी है:

  1. Infrastructure: एयरपोर्ट्स, पोर्ट्स और रोड्स में भारी निवेश।
  2. हार्ड एसेट्स: हॉस्पिटल्स, होम्स, होटल्स और रियल एस्टेट।
  3. कंजम्पशन: ट्रैवल और टूरिज्म के जरिए, जो अब स्टेपल्स या डिस्क्रिशनरी स्पेंडिंग से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

Agarwal ने कहा, “कंजम्पशन का सबसे अच्छा तरीका अब स्टेपल्स या डिस्क्रिशनरी आइटम्स नहीं, बल्कि होम्स और होटल्स हैं। यह एक नया भारत है।”

हार्ड एसेट्स और ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की बढ़ती भूमिका

Agarwal के अनुसार, हार्ड एसेट्स जैसे एयरपोर्ट्स, हॉस्पिटल्स, रियल एस्टेट और एनर्जी ट्रांजिशन में कंपनियों की सेल्फ-फंडिंग कैपेसिटी बढ़ रही है। साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्चर स्पेंडिंग में उछाल भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में मजबूत स्थिति दे रहा है।

भारत की कंपनियां अब आउटबाउंड M&A (मर्जर एंड एक्विजिशन) पर ध्यान दे रही हैं। China-plus-one स्ट्रैटेजी के तहत भारतीय कंपनियां विदेशों में मैन्युफैक्चरिंग फर्म्स का अधिग्रहण कर रही हैं, खासकर रेल और डिफेंस जैसे सेंसिटिव सेक्टर्स में। Agarwal ने कहा, “यूरोप से एक्सपोर्ट करना भारत से ज्यादा आसान है। कुछ कंपनियां जो एक्सपोर्ट्स पर निर्भर हैं, वे India-plus-one मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाना चाहेंगी।”

Jefferies ने पिछले साल कई बड़े M&A डील्स में हिस्सा लिया, जिनमें Advent की $1.64 बिलियन की Bharat Serums & Vaccines की बिक्री Mankind Pharma को, HDFC की $1.3 बिलियन की Credila डिवेस्टमेंट EQT को, ChrysCapital की GeBBS Healthcare की बिक्री EQT को, और Apax Partners की Healthium की बिक्री KKR को शामिल हैं।

रिन्यूएबल्स और मैन्युफैक्चरिंग में भारत की नई ताकत

Agarwal ने बताया कि रिन्यूएबल्स में भी भारत आउटबाउंड एक्सपेंशन की दिशा में बढ़ रहा है। कई कंपनियां अमेरिका में प्लांट्स सेटअप कर रही हैं। साथ ही, ट्रेड डिस्प्यूट्स के बावजूद मैन्युफैक्चरिंग डायवर्सिफिकेशन की जरूरत बनी रहेगी।

Jefferies के हेड ऑफ एशिया इनवेस्टमेंट बैंकिंग, Chris Laskowski ने कहा, “China-plus-one स्ट्रैटेजी भारत के लिए फायदेमंद है। चीनी कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग हब्स बना सकती हैं या भारतीय पार्टनर्स के साथ काम कर सकती हैं। ऑटो सेक्टर में इसके कुछ उदाहरण दिख चुके हैं।”

चीन की पश्चिमी मार्केट्स तक पहुंच सीमित होने से भारत और उसके पड़ोसी देशों को फायदा मिल रहा है। Laskowski ने कहा, “चीन के लिए अब अमेरिका और यूरोप में जाना मुश्किल है। इसलिए साउथईस्ट एशिया, मिडिल ईस्ट और भारत उनके लिए नए मार्केट्स और कैपेबिलिटीज डेवलप करने के फोकस एरियाज होंगे।”

प्राइवेट इक्विटी में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी

प्राइवेट इक्विटी फ्लोज में भी बड़ा बदलाव आया है। कुछ साल पहले तक, एशिया-फोकस्ड फंड्स में चीन का दबदबा था। Laskowski ने बताया, “पांच साल पहले, ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म्स के एशिया-स्पेसिफिक फंड्स का 25-40% पैसा चीन में जाता था। अब यह केवल 5-10% है।”

इस बदलाव ने भारत को बड़ा फायदा पहुंचाया है। Laskowski ने कहा, “भारत प्राइवेट कैपिटल के लिए बहुत उर्वर जमीन बन गया है। नए डायनामिक अवसरों में निवेश और पब्लिक मार्केट्स या ट्रेड सेल के जरिए सफलतापूर्वक एग्जिट्स ने भारत को निवेशकों का पसंदीदा बनाया है।”

Jefferies ने इस साल कई बड़े इक्विटी रेज किए, जिनमें Kedaara-बैक्ड Vishal Mega Mart का $944 मिलियन का IPO, EQT-बैक्ड Sagility का $250 मिलियन का IPO, और Motherson ($763 मिलियन), Varun Beverages ($890 मिलियन), और JSW Energy ($600 मिलियन) के QIP शामिल हैं।

निवेशकों के लिए सलाह

यह स्टोरी केवल एजुकेशनल पर्पज के लिए है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स से सलाह लें। मार्केट कंडीशंस तेजी से बदल सकती हैं।

भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर बूम, ग्लोबल सप्लाई चेन, रिन्यूएबल्स, और प्राइवेट इक्विटी न्यूज जैसी खबरों के लिए हमारे साथ बने रहें।

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(यह आर्टिकल मार्केट डेटा और एक्सपर्ट एनालिसिस पर आधारित है। निवेश से पहले Financial Advisor से सलाह लें।)

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