Bank Stock खरीदने से पहले CASA, PCR, NPA, NNPA, GNPA, PROVEISIONING, NIM जरूर चेक करें: आज के आर्टिकल में हम कुछ ऐसी शब्दावलियों के बारे में जानने का प्रयास करेंगे जो किसी बैंक के क्वार्टरली रिजल्ट में प्रमुखता से आते हैं। यदि आप किसी बैंकिंग सेक्टर के स्टॉक का चयन निवेश के लिए करते हैं तो आपको आर्टिकल में आगे आने वाली शब्दावलियों या टर्म्स से भली भांति परिचित होना ही चाहिए।
हमारे भारतीय इंडेक्स Nifty 50 में बैंक सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर है और शायद ही कोई ऐसा निवेशक है हो जिसके पोर्टफोलियो में बैंक एक प्रमुख हिस्सा न हो। जब किसी बैंक के क्वार्टरली रिजल्ट मैं टीवी पर देखता था तो कई ऐसे शब्द आते थे जो सर के ऊपर से निकल जाते थे। एक छोटे निवेशक के तौर पर हम रिजल्ट के बहुत तकनीकी में नहीं जा सकते, परंतु मेरा मानना है कि हमें इन्वेस्टर के तौर पर कुछ Basic Term जो बैंक के रिजल्ट में प्रयोग होते हैं, के बारे में सामान्य जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
Financial Planning का पहला कदम
यदि आप मेरी बात से सहमत है तो यह लेख आपके लिए ही है। मैंने अपनी तरफ से लेख में दो ही चीजों पर ध्यान दिया है सरलता और शुद्धता।
बैंक कैसे कार्य करते हैं?
सरल शब्दों में बैंक पब्लिक से विभिन्न प्रकार की जमाओं के माध्यम से (बचत खाता, चालू खाता, आवर्ती जमा, सावधि खाता आदि) पैसे लेती है और फिर उसी धन को जरूरतमंदों को ऋण के रूप में देकर ब्याज के रूप में पैसे कमाती है।
CASA RATIO क्या है?
जब आप किसी बैंक के रिजल्ट को देखेंगे या उसके बारे में सुनेंगे तो आपको casa ratio प्रमुखता से सुनने को मिलेगा।
CASA का अर्थ है: CURRENT ACCOUNT SAVING ACCOUNT
आप सभी जानते होंगे कि बैंक सेविंग अकाउंट में जमा धन पर बहुत कम ब्याज देती है और करेंट अकाउंट में जमा पर तो कोई ब्याज नहीं देती है। इसे कम ब्याज दर वाली जमा कहते हैं।
मतलब यह निकला जिस बैंक के पास casa यानी करेंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट के रूप में जितना अधिक जमा होगा उसके पास उतनी ही अधिक सस्ती पूंजी होगी और फिर वह उस पूंजी को अधिक दर पर उधार देकर उतना अधिक फायदा कमा पाएगी।
निष्कर्ष यह निकला जितना CASA अधिक होगा उतना ही बैंक के लिए फायदेमंद है।
अब बात करते हैं casa ratio पर, नाम से ही प्रतीत होता है की यह एक अनुपात है।
CASA RATIO = Current और Saving Account में जमा/कुल जमा(Total Deposit)
CASA RATIO दो बैंकों में तुलना को सरल बनाता है, सामान्यतय: आपको ये आंकड़े प्रतिशत में सुनने को मिलते हैं।
तो जब अगली बार आप सुने कि HDFC BANK का CASA RATIO 40% है तो हमें यह समझ में आना चाहिए कि यदि HDFC BANK में कुल ₹100 जमा होते हैं तो उसमे से ₹40 सेविंग और करंट अकाउंट में मिलाकर जमा होते हैं और शेष 60 रुपए अन्य जमाओ जैसे FD, RD आदि में जमा होते हैं।
NPA क्या है?
कुछ साल पहले बैंकों के लिए एक बड़ी समस्या NPA की थी। आइए इसको समझने का प्रयास करते हैं।
NPA मतलब NON PERFORMING ASSET, अब एक-एक शब्द को समझते हैं।
पहले समझते हैं Asset क्या है?
बैंकों के लिए एसेट है उनके द्वारा दिए गए Lone या ऋण (मुख्यतय:) क्योंकि उन्हीं पर जो ब्याज मिलता है वही उनकी इनकम है। दूसरा नंबर आता है Performing को समझने का। कोई Asset Performing तब तक रहता है जब तक उस पर ब्याज मिलता रहे। यदि ऋण लेने वाला अपनी किस्तें देना बंद कर दे तो बैंक द्वारा दिया गया ऋण (यानि बैंक का वह Asset Non Performing हो गया) NPA हो गया।
एनपीए को भी ABSOLUTE TERM में बताने के स्थान पर प्रतिशत के रूप में समझना अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि इससे हम दो बैंकों की तुलना कर सकते हैं।
उदाहरण स्वरूप यदि हम सुने कि ICICI बैंक का NPA 2% है तो हमें समझ जाना चाहिए कि यदि ICICI बैंक ने ₹100 ऋण के रूप में बांटे है तो उसमें से ₹2 PERFORM नहीं कर रहे मतलब उस पर ब्याज नहीं चुकाया जा रहा।
आशा है आप समझ गए होंगे कि किसी बैंक के लिए जितना NPA कम होगा उतना ही अच्छा है।
Provisioning क्या है?
बैंक के रिजल्ट में प्रोविजनिंग का भी एक महत्वपूर्ण आंकड़ा होता है। जब बैंक उधार देता है तो वह जानता है कि कुछ उधारी NPA की श्रेणी में जाएगी इसलिए वो हर क्वार्टर में कुछ धन एडवांस में अलग रखता है (प्रोविजनिंग के रूप में) जिससे अचानक से किसी ऋण के नॉन परफॉर्मिंग होने से बैंक संकट में न आ जाए।
प्रोविजनिंग का आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये बैंक के Net Profit को सीधे प्रभावित करता है। बैंक अपने Profit से ही धन निकालकर प्रोविजनिंग करतें है। यानी प्रोविजनिंग प्रॉफिट को घटा देती है।
Net profit = Profit – Provisioning
प्रोविजनिंग बढ़ने का अर्थ है बैंक की नजर में उसके Non Performing Asset बढ़ सकते हैं।
GNPA (Gross Non Performing Asset) क्या है?
Non Performing Asset को ऊपर मैंने स्पष्ट किया है। Gross Non Performing Asset वह पूरा ऋण जो Perform नहीं कर रहा अर्थात जिस पर ब्याज नहीं प्राप्त हो रहा (Bad Debt)
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि किसी बैंक ने 100 करोड़ उधार के रूप में दिए है जिसमे से 5 करोड़ Bad Debt हो गए यानि उस पर ब्याज नहीं मिल रहा तो
GNPA= 5 करोड़ रुपए या 5% होगा।
सामान्यतया बैंक के रिजल्ट में आपको ये आंकड़े प्रतिशत में सुनने को मिलेंगे। प्रतिशत के आंकड़ों के आधार पर आप दो बैंकों की तुलना कर सकते हैं।
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अतः GNPA का बढ़ना मतलब बैंक की एसेट क्वालिटी खराब हो रही है।
NNPA (Net Non Performing Asset) क्या है?
मैंने Provisioning को समझाते समय बताया था कि बैंक एडवांस में कुछ पैसा Bad Debt (उन ऋणों के लिए जिन पर ब्याज न आने की संभावना है) के लिए Provide करके रखते है। यदि इस Provisioning को GNPA से घटा दें तो NNPA प्राप्त होता है अर्थात NNPA वो नॉन परफॉर्मिंग एसेट है जिसके लिए PROVISIONING नहीं की गई है।
NNPA = GNPA – PROVISIONING
उपरोक्त उदाहरण में यदि 5 करोड़ के नॉन परफॉर्मिंग एसेट के विरुद्ध बैंक ने पहले से 2 करोड़ की प्रोविजनिंग कर रखी है तो
NNPA = 5 – 2 = 3 करोड़ रुपए या 3% का होगा।
NNPA का बढ़ना भी बैंक की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। साथ ही आप ये भी समझ गए होंगे क्यों NNPA हमेशा GNPA से कम होते हैं।
PCR (Provision Coverage Ratio) क्या है?
PCR यह बताता है कि बैंक ने किस अनुपात अपने नॉन परफॉर्मिंग एसेट को कवर कर रखा है सरल सब्दों में
PCR = PROVISIONING/GNPA
उपरोक्त उदाहरण में PCR = 2/5 = 0.4 या प्रतिशत में कहें तो 40% होगा।
PCR को देख कर आप एक नजर में बता सकते हैं कि बैंक NPA के सदमे को झेलने में कितना पहले से तैयार है। सामान्यतय: 70% से ऊपर का PCR अच्छा माना जाता है।
NIM (NET INTREST MARGIN) क्या है?
बैंक के रिजल्ट में ये सबसे महत्वपूर्ण शब्दावली है। ये सामान्य कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन (OPM) के समतुल्य है।
बैंक का मुख्य कार्य एक से पैसे उधार ले कर दूसरे को उधार देना है। बैंक जिस दर पर पैसा उधार लेता है उससे अधिक दर पर दूसरों को उधार देता है। सरल शब्दों में इन दोनो दरों का अंतर ही NIM हैं।
जब हम सुनते हैं कि HDFC BANK का NIM 3.4% रहा तो हमे यह समझना चाहिए कि बैंक जिस दर पर धन प्राप्त कर रहा है उससे 3.4% अधिक दर पर उधार दे पा रहा है।
किसी बैंक के NIM जितने अधिक हैं वो उतना ही अच्छा है। NIM ही बैंकिंग के धंधे का मार्जिन है।
तो अब जब भी आप किसी Bank Stock को खरीदने की सोचें तो कम से कम इन टेक्निकल शब्दों के आंकड़ों को एक बार बैंक की वेबसाइट पर इन्वेस्टर कॉलम में जा कर अवश्य चेक कर लें।
आशा करता हूं की यह आर्टिकल आपके लिए अवश्य सहायक साबित होगा, कृपया इसे अपने मित्रों, के साथ अवश्य शेयर करें। आर्टिकल पूरा पढ़ने और अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद!
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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम उमेश चन्द्र पाण्डे है। मैं अपने बचे समय में ब्लॉगिंग और डिजिटल कंटेंट क्रिएट करता हूं। मुझे फ़ाइनेंस से जुड़े विषयों पर लेख लिखना, पढ़ना और लोगों को जागरूक करना बेहद पसंद हैं, साथ ही मुझे सेहत और स्वास्थ से जुड़े विषयों में गहरी रुचि है, समय समय पर इस विषय पर भी आपको मेरे लेख मिलते रहेंगे।
ज्ञानवर्धक जानकारी 👍